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2 करोड़ टन दलहन की पैदावार का अनुमान

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के मुताबिक चालू फसल वर्ष में दलहन की पैदावार अब तक की सर्वाधिक दो करोड़ टन हो सकती है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2016 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2016 08:35 PM (IST)
2 करोड़ टन दलहन की पैदावार का अनुमान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दालों के बढ़ते मूल्य से हलकान केंद्र सरकार को चालू खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीदें हैं। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के मुताबिक चालू फसल वर्ष में दलहन की पैदावार अब तक की सर्वाधिक दो करोड़ टन हो सकती है। दालों के मूल्य और मानसून की अच्छी बारिश और अनुकूल वातावरण को देखते हुए सरकार का अनुमान है कि इस बार दलहन उत्पादन में 18 फीसद तक की वृद्धि हो सकती है।

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खाद्य मंत्री पासवान ने कहा कि सरकार हर हाल में दालों के मूल्य को काबू करेगी। इसके लिए दालों की आपूर्ति बढ़ाने के कई उपाय किये जा रहे हैं। लेकिन राज्य सरकारों की ओर से दाल की आपूर्ति में उदासीनता बरतने पर उन्होंने नाराजगी भी जताई। उन्होंने राज्यों से अपनी जिम्मेदारी उठाने का आग्रह किया। कई राज्य ऐसे हैं जो केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही 120 रुपये किलो की रियायती दर की दालें तक उठाने में भी कोताही बरत रहे हैं।

दाल पर गठित संबंधित मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति की बैठक में यह बात सामने आई कि चालू वर्ष दालों की पैदावार में उत्साहजनक वृद्धि होगी। इससे बाजार में दालों के मूल्य को नीचे लाने में मदद मिलेगी। पासवान बुधवार को यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। 2014-15 फसल वर्ष में सूखे की वजह से दाल की पैदावार घटकर 1.71 करोड़ टन रह गई थी। जबकि अगले साल के सूखे ने इसमें और कमी कर दी और पैदावार 1.70 करोड़ टन रह गई। जबकि घरेलू मांग बढ़कर 2.35 करोड़ टन हो गई है।

सरकार मांग-आपूर्ति के इस अंतर को पाटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। आपूर्ति बढ़ा कर महंगाई रोकने के लिए कई अहम उपाय किये गये हैं। दालों के मूल्य तभी बढ़ते हैं, जब मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ जाता है। आपूर्ति कम होने की एक बड़ी वजह जमाखोरी भी है। सरकार ने इसके लिए जहां राज्यों से छापेमारी की कार्यवाही करने का आग्रह किया है, वहीं बाजार में हस्तक्षेप के लिए बफर स्टॉक का गठन किया है।

पासवान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि दालों की आपूर्ति के दीर्घकालिक उपायों के तहत अरहर दाल का आयात मोजांबिक से किया जाएगा। विदेशी दालें किसी भी हाल में समर्थन मूल्य से अधिक पर नहीं खरीदी जाएगी। दोनों देशों के बीच होने वाले समझौते के तहत पहले साल एक लाख टन अरहर का आयात किया जाएगा, जो अगले सालों में बढ़ाकर दो लाख टन हो जाएगा। सरकार म्यामांर से उड़द का आयात करेगी। हालांकि वहां की सरकार सीधे भारत सरकार को दालें नहीं बेचेगी।


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