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होम लोन भी होता हैं पोर्ट, कम कर सकते हैं EMI का बोझ

होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में भी पोर्ट कराया जा सकता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 13 Apr 2017 05:08 PM (IST)Updated: Thu, 13 Apr 2017 05:15 PM (IST)
होम लोन भी होता हैं पोर्ट, कम कर सकते हैं EMI का बोझ
होम लोन भी होता हैं पोर्ट, कम कर सकते हैं EMI का बोझ

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में नीतिगत दरों में भले ही कोई बड़ा बदलाव न किया हो, लेकिन सस्ते होम लोन से लेकर होम लोन ट्रांसफर कराने तक की खास सुविधाओं के लिए बैंकों की ओर से की जाने वाली तमाम फोन कॉल्स आपके पास भी आती होंगी। लोन देन के दौरान बैंकों का रवैया भले ही ठीक रहता हो लेकिन लोन की ईएमआई शुरू होने के बाद ग्राहक बैंकों के रवैए से परेशान होने लग जाते हैं। बैंक दरें एवं शुल्क बढ़ा देना इसकी प्रमुख वजह हो सकता है। ऐसे में होम लोन को पोर्ट कराना आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। हम अपनी खबर में आपको होन लोन पोर्टेबिलिटी के बारे में ही बताएंगे जिससे आप अपनी ईएमआई का बोझ भी कर कर सकते हैं।

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होम लोन को पोर्ट करना है काफी आसान-
होम लोन पोर्ट करवाना कभी कभी फायदेमंद भी रहता है क्योंकि ऐसा करने होम लोन की ईएमआई का बोझ कम होने की संभावना बढ़ जाती है। यह बैंकों की अलग-अलग ब्याज दरों और अन्य सहूलियतों के कारण होता है। होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में शिफ्ट करवाने यानी पोर्ट करवाने की प्रक्रिया काफी आसान कर दी गई है।

क्या है प्रक्रिया:
लोन शिफ्ट करवाने के लिए सबसे पहले आपको उस बैंक में आवेदन करना होगा जहां से आपने लोन ले रखा है। आवेदन करने के बाद बैंक आपको एनओसी (NOC) और एक स्टेटमेंट इश्यू करेगा। इस स्टेटमेंट में आपके ऊपर लोन की बकाया राशि का विवरण होगा। फिर आप जिस बैंक में लोन ट्रांसफर करवा रहे हैं उस बैंक में एनओसी जमा करेंगे। इसके बाद वह बैंक लोन की राशि पुराने बैंक को ट्रांसफर करेगा और पुराने बैंक में आपका एकाउंट क्लोज कर दिया जाएगा। इसके साथ ही आपका उस बैंक में दिया हुआ पोस्टज डेटेड चेक/ईसीएस रद्द हो जाएगा।

किस सूरत में लोन शिफ्ट न करें:
होम लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में पोर्ट कराने से पहले आपको उस बैंक की ब्याज दर को भी परखना चाहिए जिसमें आप अपना लोन पोर्ट करवाने जा रहे हैं।संबंधित बैंक व उसके ऑफर्स से जुड़ी जानकारी बैंक की वेबसाइट से ली जा सकती है। अगर ब्याज दरों में ज्यादा अंतर न हो और सेविंग्स भी कम हो तो बेहतर है कि लोन शिफ्ट न करें। ऐसा इसलिए कि दोनों बैंकों की ब्याज दरों मे ज्यादा खास अंतर न होने पर प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्ज मिलाकर इससे ज्यादा का खर्चा हो जाता है।

लोन ट्रांसफर की गणना करें:
लोन शिफ्ट कराने से पहले यह जरूर जान लें कि आपको कितना लोन शिफ्ट करवाना ह। यानी आपको टोटल आउट फ्लो की गणना करनी होगी। टोटल आउट फ्लो यानी आप जब लोन किसी अन्य बैंक में शिफ्ट करेंगे तो उस बैंक में कुल कितना भुगतान करना होगा। लोन शिफ्ट करते वक्त कुल अमाउंट का भुगतान करना होता है। इससे आप यह पता लगा सकते हैं कि आपको कितनी राशि की बचत होगी।

लोन ट्रांसफर से पहले चार्ज के बारे में मालूम करें:
लोन शिफ्टिंग से पहले प्रोसेसिंग फीस व अन्य चार्ज के बारे में पता लगाना फायदेमंद रहता है। इसमें आप प्रोसेसिंग फीस, स्टैंप फीस, लीगल चार्ज, वैल्युएशन फीस आदि के बारे में पता लगा सकते हैं। अधिकांश बैंक सिर्फ प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं और उसी के तहत अन्य चार्जों को शामिल करते हैं।

लोन शिफ्टिंग में पेनल्टी भी मांगते हैं बैंक:
लोन शिफ्टिंग से पहले आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि लोन शिफ्ट करने से पहले बैंक ग्राहकों से पेनल्टी भी मांगते हैं। यानी आप लोन की अवधि पूरा होने से पहले लोन शिफ्ट करवाते हैं तो बैंक आपसे बैंक फ्री पेमेंट पेनल्टी चार्ज वसूल कर सकते हैं। यह चार्ज लोन राशि का 2 फीसद तक हो सकता है।

इस सूरत में बिल्कुल भी न शिफ्ट करें लोन:
अगल आपने अपने मौजूदा बैंक को लोन की आधे से ज्यादा राशि चुका दी है तो लोन को शिफ्ट करवाना बेहतर फैसला नहीं होता है। केवल उस स्थिति में आपको लोन शिफ्ट करना चाहिए जब लोन का कार्यकाल लंबा हो और लोन अमाउंट 60से 70 फीसद तक देना बाकी हो। वहीं अगर लोन अमाउंट 20 से 25 फीसद बचा हो तो लोन शिफ्ट न करें।


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