ग्रामीणों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने पर जोर
फुलर्टन इंडिया आठ साल से वित्तीय समावेश की गतिविधियां चला रही है। क्या ग्रामीण भारत आधुनिक वित्तीय सेवाओं के साथ कदमताल को तैयार है?
फुलर्टन इंडिया आठ साल से वित्तीय समावेश की गतिविधियां चला रही है। क्या ग्रामीण भारत आधुनिक वित्तीय सेवाओं के साथ कदमताल को तैयार है?
-एकदम। इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के ग्रामीण इलाकों में यदि आधुनिक वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं तो वहां लोगों को उन्हें स्वीकार करने में कोई गुरेज है। आज हम देश के कई हजार गांवों में उपस्थित हैं। छोटे कॉमर्शियल लोन से लेकर ग्रामीण होम लोन, मवेशी खरीदने के लिए और दोपहिया से व्यावसायिक वाहन खरीदने तक के लिए कर्ज उपलब्ध करा रहे हैं। गांव के लोगों के लिए सस्ती दरों पर बीते कई साल से जीवन और दुर्घटना बीमा भी उपलब्ध करा रहे हैं। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन साबित करता है कि देश के गांवों में भी इन सेवाओं के विस्तार की मजबूत संभावनाएं उपलब्ध हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आप तक कैसे पहुंचते हैं?
-देखिए, गांव-गांव में हम अपनी शाखाएं नहीं खोल सकते कि लोग खुद अपनी जरूरतों के लिए हम तक पहुंच सकें। इसलिए हमें ही गांव के लोगों तक पहुंचना होता है। उन्हें वित्तीय सेवाओं के फायदे समझाने होते हैं। हम गांवों का दौरा करते हैं, वहां सेल्फ हेल्प ग्रुप तैयार करते हैं। उन्हें बताते हैं कि वे हमसे किस तरह लाभ ले सकते हैं। महिलाओं पर हमारा फोकस रहता है। उन्हें समझाने का लाभ हमें मिलता है। हमारा उद्देश्य ग्रामीण लोगों को वित्तीय दृष्टि से मजबूत करना है। हमने अपनी ग्रामीण शाखाओं का नाम भी 'ग्राम शक्ति रखा है।'
सरकार भी अब मुद्रा योजना और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बीमा योजनाओं के जरिये वित्तीय समावेश की रफ्तार बढ़ाने की कोशिश कर रही है? क्या आप इनसे किसी प्रकार जुड़ रहे हैं?
-ये दोनों ही प्रयास सही दिशा में हैं। हम पहले से ही देश में इस काम को कर रहे हैं। हम कोटक के साथ मिलकर पहले ही सस्ती दरों पर ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा उपलब्ध करा रहे हैं। मुद्रा योजना के तहत मौका मिलेगा तो हम अवश्य सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे। चूंकि हम पहले से ही इस तरह के कर्ज वितरण का काम कर रहे हैं, इसलिए सरकार की योजना को भी हमारे अनुभव का लाभ मिलेगा।
देश भर में अभी आपकी पहुंच कहां तक है?
-पूरे देश में हमारी 445 शाखाएं हैं। इनमें 218 शहरी और 227 ग्रामीण हैं। हम देश के 22 राज्यों में 42,000 गांवों तक पहुंच चुके हैं, जबकि 600 शहरों तक हमारी पहुंच है। करीब 12 लाख ग्राहकों को हम अब तक अपनी सेवाएं मुहैया करा चुके हैं। 7,600 कर्मचारी इस पूरे नेटवर्क में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जल्दी ही हम कुछ अन्य राज्यों में अपनी शाखाएं खोलने जा रहे हैं। फरवरी तक जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर जाएंगे। उत्तर प्रदेश हमारा अगला लक्ष्य है।
आज की तारीख में प्रत्येक व्यवसाय के लिए टेक्नोलॉजी बेहद अहम है। चूंकि आपका कार्यक्षेत्र ग्रामीण इलाकों में भी है तो आप वहां इसका इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं?
-टेक्नोलॉजी ने सबके साथ-साथ हमारे व्यवसाय को भी रफ्तार देने में काफी मदद की है। खासतौर पर अगर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि गांव-गांव जाने वाले हमारे प्रत्येक कर्मचारी टैबलेट कंप्यूटर से लैस हैं। वे गांव-गांव जाकर ग्राहकों से मिलते हैं, उनकी जरूरत समझते हैं और वहीं उनके कर्ज का आवेदन स्वीकार कर उसे मंजूर भी कर देते हैं। इसके अलावा हम ग्रामीण इलाकों में अपने सभी ग्राहकों को मासिक किस्त से पहले फोन पर एसएमएस भेजते हैं। जब हमारे कर्मचारी उनसे किस्त का पैसा लेते हैं तो हाथ के हाथ वहीं उन्हें रसीद थमाते हैं और टैबलेट के जरिये एंट्री भी करते हैं। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में दिए गए कुल कर्ज पर नुकसान एक फीसद से भी कम है।
बीते आठ साल में कंपनी की रफ्तार कैसी रही है?
-इसे आप केवल कंपनी के ताजा वित्तीय आंकड़े देख कर ही समझ सकते हैं। 30 सितंबर, 2015 को समाप्त छमाही में कंपनी को 204.28 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ हुआ। इसमें 64 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। इस आधार पर पूरे साल में हमारा कर पूर्व मुनाफा 400 करोड़ रुपये से ऊपर रहेगा।
राकेश मक्कड़
एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट
फुलर्टन इंडिया क्रेडिट कंपनी