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किराये पर रहें या खरीदें अपना घर

जिन लोगों को विरासत में मकान नहीं मिला है, उनके लिए इसकी अहमियत सबसे ज्यादा है। यदि आपको किसी मकान मालिक की दया पर निर्भर रहना पड़ रहा है तो फिर आप जिंदगी के असली आनंद से वंचित हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2015 10:39 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2015 11:16 AM (IST)
किराये पर रहें या खरीदें अपना घर

जिन लोगों को विरासत में मकान नहीं मिला है, उनके लिए इसकी अहमियत सबसे ज्यादा है। यदि आपको किसी मकान मालिक की दया पर निर्भर रहना पड़ रहा है तो फिर आप जिंदगी के असली आनंद से वंचित हैं।

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भारत में यह हमारी पहली पीढ़ी है, जिसे घर खरीदने के लिए आसान कर्ज की सुविधा उपलब्ध है। आपको याद होगा कि हमारे मां-बाप के लिए आवास कर्ज लेना कितना मुश्किल काम था। दूसरी ओर आज हालत यह है कि होम लोन ऑफर देने वालों के अवांछित फोन हमें आए दिन परेशान करते रहते हैं।

लेकिन क्या महज होम लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी गिरवी रखना उचित है? क्या आपको किराये पर रहते रहना चाहिए या कि होम लोन लेकर दो दशक तक उसकी किस्तें चुकानी चाहिए? इन सवालों का जवाब पाने के लिए आपको कई बातों पर विचार करना पड़ेगा।

सबसे पहली बात यह है कि क्या आप घर खरीदने की स्थिति में हैं? घर खरीदने के लिए जो होम लोन लेंगे उसकी ईएमआइ मासिक किराये के 200-300 फीसद के बराबर बनेगी। इसके अलावा आपको शुरू में कुछ एकमुश्त रकम भी अदा करनी पड़ेगी। इसलिए सबसे पहले अपनी माली हालत का आकलन करें और देखें कि क्या आप शुरुआती रकम के अलावा नियमित रूप से ईएमआइ अदा कर सकते हैं या नहीं।

शुरू में ईएमआइ अदा करने लायक स्थिति में आने के लिए अपने खर्चों में कुछ कटौती करना उचित होगा। यह स्वाभाविक होने के साथ वांछनीय भी है कि शुरुआती वर्षों के दौरान मासिक किस्तों की नियमित अदायगी के लिए आप कुछ पैसा बचा कर रखें। बाद में जैसे-जैसे वेतन बढ़ेगा और पदोन्नति होगी, आपके लिए ईएमआइ की अदायगी आसान होती जाएगी। यदि आपने फिक्स रेट पर होम लोन ले रखा है तो फिर यह और भी आसान होगा।

आपको अपनी कर संबंधी बचतों का हिसाब-किताब भी कर लेना चाहिए। प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं तो उसका भी आकलन कर लें। और हां, अपने खर्चों में इतनी कमी अवश्य करें, जिससे जो किराया आप दे रहे हैं उसकी भरपायी हो सके। इसके लिए आप किसी भी ऑनलाइन कैलकुलेटर की मदद ले सकते हैं। यदि आंकड़े अनुकूल हों तो आप होम लोन लेने के हकदार हैं।

आपकी रिहाइश के मुताबिक आपको दीर्घावधि में अपनी संपत्ति पर कैपिटल डेप्रिशिएशन का लाभ भी मिल सकता है। इससे होम लोन की अदायगी और भी आसान हो जाएगी। वैसे भी देश में लंबी अवधि में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ते ही बढ़ते हैं।

याद रखें कि किराया एक खर्च है, जबकि होम लोन की ईएमआइ से संपत्ति निर्माण होता है। कई सालों तक किराया अदा करने के बाद भी आपके हाथ कुछ नहीं आता। जबकि होम लोन की ईएमआइ अदा करने के बाद आप अपने घर के मालिक बनते हैं।

यदि आप ईएमआइ भुगतान की अपनी क्षमता को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो फिर ऐसा व्यवहार करें मानो आपने होम लोन ले रखा हो। यानी हर महीने ईएमआइ की राशि बचाकर रखें। छह महीने तक ऐसा करने के पश्चात आपको अंदाजा हो जाएगा कि आप मासिक किस्त अदा कर सकते हैं या नहीं। इसके बाद आप उस पैसे का इंतजाम करें जिसकी एकमुश्त जरूरत होम लोन लेते वक्त शुरू में पड़ेगी।

लेकिन इन वित्तीय पहलुओं के अलावा कुछ अन्य तथ्य भी समान रूप से विचारणीय हैं। इनमें संभवत: सबसे महत्वपूर्ण है घर खरीदने से मिलने वाली संतुष्टि। आखिर रोटी, कपड़ा के बाद जीवन में सबसे जरूरी चीज मकान ही तो है। वैसे भी अपने घर का सपना कहीं न कहीं हर भारतीय के मन में होता है। जिन लोगों को विरासत में मकान नहीं मिला है, उनके लिए तो इसकी अहमियत सबसे ज्यादा है। सच बात तो यह है कि यदि आपको किसी मकान मालिक की दया पर निर्भर रहना पड़ रहा है तो फिर आप जिंदगी के असली आनंद से वंचित हैं। अपना घर आपके अस्तित्व का प्रकटीकरण है। किराये के घर से यह जरूरत कभी पूरी नहीं हो सकती।

सामान्यत: यदि आप ए श्रेणी की लोकलिटी में किराये का मकान ले सकने की स्थिति में हैं तो इसकी पूरी संभावना है कि इसी श्रेणी का मकान उसी तरह के इलाके में लेना आपके लिए मुश्किल होगा। ऐसे में आपको बी श्रेणी के इलाके में मकान खरीदना पड़ेगा। यदि ऐसा हुआ तो दफ्तर या स्कूल जाने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ेगा। इससे ज्यादा समय तक परिवार से दूर रहने के अलावा मॉल/मूवी/मार्केट जाने में भी दिक्कत आएगी। फिर उस मकान में आपको मनचाहा सुकून भी नहीं मिलेगा। हो सकता है कि वहां आपका आस-पड़ोस आपकी रुचि के अनुकूल न हो।

इसलिए मकान खरीदने से पहले इन सभी बातों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर लेना चाहिए। ईएमआइ लंबी अवधि का वादा है। लिहाजा, यदि नए घर में सुकून हासिल नहीं हुआ तो न केवल आपका उत्साह मारा जाएगा, बल्कि ईएमआइ के चंगुल में फंसने के कारण दुखी भी रहेंगे। अगर आपको लगता है कि अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए कुछ त्याग कर सकते हैं तो फिर आपको अपना घर अवश्य खरीदना चाहिए।

यदि नौकरी ट्रांसफर वाली है, तो यह मकान खरीदने में एक बड़ी अड़चन है। शॉर्ट नोटिस पर शहर बदलना पड़ा तो या तो घर किराये पर उठाना होगा या बेचना पड़ेगा। जल्दबाजी में मकान बेचने से अच्छी कीमत नहीं मिलेगी। दूसरी ओर किराये पर उठाने की अपनी समस्याएं हैं। ऐसा तभी किया जा सकता है जब आपके पीछे मकान की देखरेख करने वाला आपका अपना कोई हो।

राजीव जमखेदकर

संस्थापक एवं एमडी,सेरंगती वेंचर्स


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