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ईएमआई का बोझ कम करने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर करा सकते हैं लोन, लेकिन बरतें ये सावधानी

ईएमआई का बोझ कम करने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में लोन ट्रांसफर कराते समय रखें इन बातों का ख्याल

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 03 Jan 2017 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jan 2017 06:28 PM (IST)
ईएमआई का बोझ कम करने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर करा सकते हैं लोन, लेकिन बरतें ये सावधानी

नई दिल्ली। देश के तमाम बैंक और वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनियां ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की नई स्कीम्स लाती रहती हैं। कुछ बैंक नया कर्ज लेने पर कम ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस में कमी और कर्ज वापसी की मियाद बढ़ाकर ग्राहकों को आकर्षित करते रहते हैं तो कुछ पहले से किसी बैंक में चल रहे लोन को अपने बैंक में कम ब्याज दर पर ट्रांस्फर कराने के लिए विकल्प भी देते हैं। हालांकि ऐसा करने के दौरान आपको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि ऐसा कर आप न सिर्फ फायदे में रह सकते हैं बल्कि आप खुद को ठगने से भी बचा सकते हैं।

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बैंक क्यों देते हैं लोन ट्रांसफर कराने का मौका:
दरअसल बैंकों और वित्तीय कंपनियों की इसके पीछे मंशा ज्यादा से ज्यादा बिजनेस को अपनी ओर आकर्षित करने की होती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि ग्राहकों के लिए अपना पुराना लोन नए बैंक में ट्रांस्फर कराना कितना फायदेमंद साबित होता है? साथ ऐसी कौन सी बातें हैं जो किसी व्यक्ति को लोन ट्रांस्फर कराते वक्त याद रखनी चाहिए?

समझदारी से करें काम
यदि आपका किसी बैंक में पर्सनल या कोई और लोन चल रहा है तो अन्य बैंकों के एक्जिक्युटिव या एजेंसियों की ओर से लोन ट्रांस्फर के लिए आपको फोन आते रहते हैं। बैंकों के एक्जिक्युटिव ग्राहकों को यह समझाने की कोशिश करते हैं कि बैलेंस ट्रांस्फर कराकर अपनी ईएमआई कम कराई जा सकती है। इसके साथ ही अगर आपको और लोन की जरूरत है तो आप वह भी ले सकते हैं। निश्चित तौर पर किसी भी साधारण कर्जदार को यह फायदे की बात ही लगेगी। लेकिन इसके पीछे छुपी शर्तें जानने के बाद कर्जदार वास्तव में खुद को ठगा महसूस करता है।

ऐसे में किसी पुराने लोन का बैलेंस ट्रास्फर कराने से पहले इन 5 बातों पर ध्यान जरूर दें-

1. कई बार बैंक आपकी ईएमआई की रकम कम करने के लिए कर्ज की अवधि बढ़ा देते हैं। ऐसे में बैलेंस ट्रांस्फर करवाने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि नये बैंक से लोन शुरू होने के बाद वास्तव में आपको कुल कितनी रकम का भुगतान करना पड़ेगा। ईएमआई की राशि को कुल महीनों की संख्या से गुणा करके पता किया जा सकता है कि कर्ज की राशि से कितना ज्यादा पैसा असल में आपको लौटाना पड़ा रहा है। यह राशि पिछले बैंक की तुलना से कम होना जरूरी है।

2. वास्तव में बैलेंस ट्रांस्फर की प्रक्रिया पुराने कर्ज को खत्म कर नए बैंक से बची राशि का लोन शुरू करना होता है। इसमें आप नए बैंक से लोन लेकर पुराने बैंक को देते हो और नए बैंक के साथ आपका संबंध स्थापित हो जाता है। अक्सर इस प्रक्रिया मंए कई तरह के शुल्क लग जाते हैं। मसलन, पुराने बैंक से लोन खत्म करने पर प्री पेमेंट चार्जेज, नए बैंक से लोन लेने पर प्रोसेंसिग फीस आदि। कर्जदार को इस बात ध्यान रखना चाहिए कि असल में नया लोन इन सब चार्जेज के बाद उसको महंगा तो नहीं पड़ रहा या ऐसा कह लीजिए कि जो लाभ उसको एक बैंक से दूसरे बैंक में कर्ज ट्रांस्फर कराने से हो रहा है वह इन्हीं चार्जेज में तो खत्म नहीं हो जा रहा।

3. अगर आप अपने पुराने लोन के बड़े हिस्से का भुगतान कर चुके हैं तो पुराने लोन पर और टॉप अप लेने से बचें। आपको बता दें कि जरूरत पड़ने पर आप नए सिरे से लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही ब्याज दरें कम हो जाने की स्थिति में आप अपने मौजूदा बैंक से ब्याज दरों में कटौती करने को कहें। जब आप किसी बैंक से लोन लेते हैं तो बैंक आपको फ्री सेविंग अकाउंट, इंश्योरेंस आदि जैसे बेनेफिट के तौर पर देता। लोन बंद कराने से पहले मिलने वाली इन सुविधाओं के बारे में भी जरूर विचार करें। लोन खत्म होने पर आपकी अन्य सुविधाओं पर तो किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

बैलेंस ट्रांस्फर करवाते समय दोनों ही बैंकों के नियम व शर्तें गौर से पढ़ें। तमाम बैंकों की लोन देने या खत्म करने की अलग-अलग तरह की शर्तें होती हैं। ऐसे में ध्यान देने की जरूरत हैं कि आपके किसी अन्य वित्तीय लेने-देने पर इस निर्णय का कोई असर नहीं पडे़गा।

4. बैंक लोन देते समय फ्री क्रेडिट कार्ड, इंश्योरेंस आदि जैसे लुभावने ऑफर्स आवेदनकर्ता के समक्ष रखते हैं। यहां दो बातें ध्यान रखनी चाहिए पहली यह कि इन ऑफर्स की आड़ में आपके असली काम को कोई नुकसान न हो रहा हो और दूसरा क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंस जैसी चीजें तभीं लें जब वास्तव में आपको इसकी जरूरत हो।

5. बैंकों का मूल काम कर्ज देना ही है। ऐसे में तमाम तरह के ऑफर्स के छोटे-छोटे बेनेफिट के लालच में फंसकर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।


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