जमींदारी व्यवस्था के अवशेषों को खत्म करे सरकार
भाकपा माले द्वारा राज्यव्यापी भूमि अधिकार सत्याग्रह सप्ताह का भव्य आयोजन शनिवार को अनुमंडल परिसर के व्यापार मंडल प्रांगण में किया गया।
बेतिया। भाकपा माले द्वारा राज्यव्यापी भूमि अधिकार सत्याग्रह सप्ताह का भव्य आयोजन शनिवार को अनुमंडल परिसर के व्यापार मंडल प्रांगण में किया गया। भाकपा माले नेताओं ने कहा कि जिस तरह सौ साल पहले चंपारण के मजदूरों ने गांधी जी के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन चलाया था। जिसका परिणाम निलहे जमींदारों से जमीन और तीन कठिया प्रथा से मुक्ति मिली थी। उसी प्रकार नीतीश सरकार जमींदारी व्यवस्था को समाप्त करने की बजाय सिफारिश में लगी है। कई गांवों में आज भी मजदूरों को पांच हटही मजदूरी दी जाती है। सरकार द्वारा खेतीबारी में निर्धारित मजदूरी 197 रुपये है। जबकि चीनी मीलों या किसी सामंत के फार्म में लागू नहीं है। नील के किसानों की तरह ही आज गन्ना किसानों का शोषण किया जा रहा है। बिहार में समाजिक न्याय के नाम पर चली आ रही सरकारों ने भी भूमि सुधार से पल्ला झाड़ लिया है। आज जब चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष पूरे देश में मनाया जा रहा है तो राज्य और केंद्र की सरकारें ढ़कोसला भरे आयोजनों का सिलसिला शुरू कर रही है। अनुमंडल स्तर पर आयोजित भूमि अधिकार सत्याग्रह कार्यक्रम में गरीब, मजदूर और भूमि से वंचित लोगों ने अपने अपने बयान दर्ज कराएं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में भूमि अधिकार के सवालों पर चर्चा की गई। भाकपा माले नेता वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि आज भी पं. चंपारण में एक लाख सैंतीस हजार एकड़ जमीन इस्टेटों, चीनी मील फार्मों व सैकड़ों बडे़ भू पतियों के अधिकार में बना हुआ है। मगर सरकार भूमि अधिकार की सिफारिश लागू नहीं कर रही। नेताओं ने तेरह सूत्री मांगों को रखते हुए भूमि आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग की। मौके पर काफी संख्या में गरीब मजदूरों ने अपना बयान दर्ज कराया।