झमाझम बारिश में जमकर सेलिब्रेट हुआ संडे
बेतिया। रविवार की सुबह जैसे ही मूसलधार बारिश ने शहर को अपने आगोश में लिया मानो चारो ओर सेलिब्रेशन व
बेतिया। रविवार की सुबह जैसे ही मूसलधार बारिश ने शहर को अपने आगोश में लिया मानो चारो ओर सेलिब्रेशन व जश्न का माहौल बन गया। देखते ही देखते पूरी शहरी आबादी संडे को सेलिब्रेट करने में मशगूल हो गयी। कहीं तेज स्वर में बरसात के फिल्मी गानों को बजाया गया तो कहीं रेनी फूड की तैयारी होने लगी। देखते ही देखते शहर के घरों की छतों पर बच्चे व बच्चियों की उछलकूद शुरु हो गयी। ना कोई डर ना भय और ना ही अभिभावकों की रोक टोक। बारिश के इस मौसम में मानों सभी मस्ती के मूड में थे। सभी झमाझम बारिश में नहाने का भरपूर मजा ले रहे थे। संभ्रांत घरों के बच्चे छतों पर थे तो गरीब तबके के बच्चे पानी से लबालब भरी गलियों में धमाचौकड़ी मचा रहे थे। मस्ती का माहौल बन चुका था। महिलाओं ने अपने घरों के छतों पर लगाए गमलों की क्यारियों मे पानी भरता देख संतोष जाहिर किया। कई युवाओं ने सभी नियमों को तोड़ते हुए अपनी बाइक पर तीन चार साथियों को बैठाकर शोर गुल मचाते हुए शहर का पूरा भ्रमण किया। देखते ही देखते मानो पूरा शहर पानी से लबालब हो गया। सभी भींग भींग कर मस्ती कर रहे थे। शायद ही ऐसा कोई होगा जो इस बारिश को कोस रहा होगा। सभी के चेहरे पर हर्ष का माहौल था। ग्राहकों की भीड़ कम होने की आशंका से कुछ व्यवसायियों के चेहरे उड़े हुए थे। एहतियात के तौर पर गृहणियों ने बारिश कम होते ही सब्जी भाजी की खरीददारी कर ली और शाम में किसी विशेष व्यंजन बनाने की योजना बना ली। सत्त पराठे, मटन दो प्याजा, भरुआ करेला, पूरी व ¨हग वाले पराठों के तैयार करने क योजना बनने लगी। घर के बूढ़े बुजूर्ग तुलसी व अदरक वाले चाय की डिमांड करते पाये गये। मस्ती का आलम गांवों में भी कम नहीं था। गांवों में गन्ना किसानों की तो मानो बाछें की खिल गयी। खेतों में लगाए गये पंपिंग सेट को आराम दे दिया गया और इंद्र देव की प्रसन्नता देखकर उनका पूरा जोरदार स्वागत किया गया। उमस भरी गर्मी से बेहाल हो रहे धान के बिचड़ों ने मानों इस बारिश से सांस लेना शुरु कर दिया। इस स्थिति को देखकर धान की खेती करने वाले किसान फूले नहीं समां रहे थे। इधर दुकानदारों ने भी जल्दी जल्दी दुकान आगे बढ़ाने की योजना बना ली ताकि समय से घर पहुंच कर गरमा गरम समोसे व पकौड़े का आनंद लिया जा सके। बच्चे देर तक भिंगते और छिंकते रहे। अभिभावकों ने भी मानो बच्चों को पूरी आजादी दे दी थी। दिनभर संडे सेलिब्रेट किया गया।