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इस बार भी आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही सोनपुर मेले का उद्घाटन

वैशाली। विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला। गौरवशाली पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक अती

By Edited By: Published: Sun, 22 Nov 2015 08:56 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2015 08:56 PM (IST)
इस बार भी आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही सोनपुर मेले का उद्घाटन

वैशाली। विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला। गौरवशाली पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक अतीत। सोमवार को विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले का विधिवत आगाज होने जा रहा है। लेकिन विडंबना यह कि इस बार भी सोनपुर मेले का उदघाटन आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही होने जा रहा है। सोनपुर मेला में जनसंपर्क विभाग के मुख्य पंडाल को छोड़ दें तो अभी पूरे मेला क्षेत्र में बांस-बल्ले और टेंट ही लगाये जा रहे हैं। मेले की यह आधी-अधूरी तैयारी आने वाले लोगों को इस बार भी निराश करेगी। आलम यह कि मेला क्षेत्र में उदघाटन को लेकर चल रही तैयारियों को देख यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि मेले का उदघाटन सोमवार को ही है या फिर दस दिनों बाद।

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अधूरी पड़ी हैं सरकारी और गैरसरकारी प्रदर्शनियां

हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में देश की कई नामी-गिरामी कंपनियों के अलावे विभिन्न विभागों की सरकारी प्रदर्शनियां भी लगायी जाती है। लेकिन आलम यह है कि रविवार की देर शाम तक पूरे मेला क्षेत्र में कोई भी ऐसी सरकारी और गैरसरकारी प्रदर्शनियों के स्टॉल नजर नहीं आये जो सोमवार को मेला उदघाटन के मौके पर सजधज कर तैयार हो सके। मेला क्षेत्र में विभिन्न विभागों की सरकारी प्रदर्शनियों को लगाने का उद्देश्य होता है सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को रूबरू कराना। लेकिन मेला क्षेत्र में अभी इनकी तैयारी आधी-अधूरी ही है। आलम यह है कि मेला क्षेत्र की हृदय स्थली मानी जाने वाली नखास में अभी भी एक बड़ा भूभाग खाली पड़ा है।

खेल-तमाशों का भी कुछ ऐसा ही हाल

मेला क्षेत्र में आने वाले दर्शकों और श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए लगाये जाने वाले विभिन्न खेल-तमाशा वालों की भी यही कहानी है। उनकी तैयारी भी आधी-अधूरी ही है। रविवार की दोपहर तक मेला क्षेत्र में मौत का कुंआ, झूला आदि का निर्माण आधा-अधूरा ही था। मेला क्षेत्र में लगने वाली दुकानों पर मजदूर युद्धस्तर पर लगे थे। कुछ होटल जरूर चालू हो गये हैं। कश्मीरी बाजार में गर्म कपड़ों की दुकानें सजायी जा रही थी।

साकार नहीं हो सकी प्रशासनिक पहल

बीते कई वर्षों से उदघाटन के कई दिनों बाद तक सरकारी प्रदर्शनियों के उदघाटन का सिलसिला चलता रहता है। हाल यह कि मेला समापन के दस दिन पहले तक प्रदर्शनियों के उदघाटत होते थे। सोनपुर मेला के उदघाटन के दिन ही मेला क्षेत्र में लगने वाली सभी सरकारी और गैरसरकारी प्रदर्शनियों को एक ही साथ शुरू कराने की लंबे समय से मांग हो रही है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर हर बार सिर्फ आश्वासन और दावे ही किये जाते है। लेकिन ये आश्वासन और दावे कभी मेला क्षेत्र की जमीं पर साकार नहीं हो पायी। इस बार भी मेला को नया लुक देने के लिए प्रशासनिक पदाधिकारियों की मैराथन बैठक हुई। कई निर्णय लिये गये। लेकिन रविवार की देर शाम तक मेला क्षेत्र में चल रही तैयारियां विभागीय अधिकारियों के दावों की हकीकत को बयां कर रही थी। ऐसा लग रहा था मानो मेला का उदघाटन सोमवार को न होकर दस दिनों बाद होना है। सबकुछ अस्त-व्यस्त सा।

पूर्णिमा स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं को होगी निराशा

मेला में सरकारी और गैरसरकारी प्रदर्शनियों के स्टॉलों के निर्माण कार्य का रफ्तार देख ऐसा लग रहा है कि दो दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा स्नान को आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को इस बार भी मेले की यह आधी-अधूरी तैयारी काफी खटकेगी। यहां आने का उनका धार्मिक महत्व को सार्थक हो जायेगा लेकिन सरकारी प्रदर्शनियों को देखने की लालसा दिल में लिए श्रद्धालु इस बार भी निराश ही वापस लौटेंगे।

सैलानियों के लिए सजधज कर तैयार हुआ पर्यटक ग्राम

विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र में आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों के लिए पर्यटक ग्राम सजधज कर तैयार हैं। यहां बनें बीस स्वीस कॉटेज में 40 सैलानियों के ठहरने की व्यवस्था है। एक स्वीस कॉटेज में दो ¨सगल बेड लगाये गये हैं। साथ ही बाथरूम भी अटैच्ड हैं। सैलानियों को कुछ नया अहसास कराने के उद्देश्य से इस बार यहां लालटेन को नया लुक दिया गया है। यहां लगाये गये लालटेन दिखने में परंपरागत लालटेन की तरह ही हैं लेकिन ये मिट्टी के तेल से नहीं बल्कि बिजली के बल्ब से रोशनी देती है। पर्यटक ग्राम में सैलानियों के खाने-पीने के लिए कैंटिन की भी व्यवस्था है। इस कैंटिन में पटना से आये कूक खाना तैयार करेंगे।

धीरे-धीरे गुलजार हो रहा पशु बाजार

विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र की एक खास पहचान यहां आने वाले पशुओं से भी मिली है। यहां आने वाले पशुओं की संख्या को देखकर ही अंग्रेजों ने इसे सबसे बड़े पशु मेला का खिताब दिया था। भले ही अब मेले में पहले की तुलना में काफी कम संख्या में पशु आते हैं, लेकिन जितने भी आते हैं वे यहां आने वाले दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। सोनपुर मेला के घोड़ा बाजार में घोड़ों का आना शुरू हो गया है। रविवार की देर शाम तक मेला में चार दर्जन से अधिक घोड़े आ चुके थे। वहीं हाथी बाजार में सीवान के बरहरिया विधायक श्याम बहादुर ¨सह का हाथी गमन ¨सह पहुंच चुका था।


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