गुरू की कृपा से प्राप्त होता लक्ष्य
वैशाली। गुरू एक दर्पण हैं, जो सूरज की रोशनी को पकड़कर उसे अपने शिष्यों को दे देते हैं। शिष्य आषाढ़ के
वैशाली। गुरू एक दर्पण हैं, जो सूरज की रोशनी को पकड़कर उसे अपने शिष्यों को दे देते हैं। शिष्य आषाढ़ के अंधेरे बादलों की तरह होता है। लेकिन चांद रूपी गुरू सूर्य रूपी ईश्वर से प्रकाश ग्रहण कर एवं उसे मधुर बनाकर शिष्य के अंधकार को दूर करता है।
गुरू पूर्णिमा के अवसर पर हाजीपुर गौशाला परिसर में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए गायत्री परिवार के हरिनाथ गांधी ने यह बातें कही। उन्होंने गुरू की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरू परमात्मा का प्रतिनिधि होता है। गुरू अपने तप एवं पुण्य को प्राण से शिष्य को शक्ति कृत करता है। गुरू कृपा से ही कोई भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम लाल बाबू साह, श्याम बिहारी सिंह, डा. अरविंद भारती, हरिनाथ गांधी, विनय कुमार, नवीन कुमार, राजीव कुमार पाण्डेय, रवि कांत चौधरी, शांति शर्मा, सरिता शर्मा, मालती देरी लगे रहे। वहीं दूसरी ओर हाजीपुर दिग्घी स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर परिसर में विभिन्न संस्कार एवं दीक्षा कराये गए। इस मौके पर शक्तिपीठ के उमा रमण ने कहा कि गुरू पूर्णिमा का पावस दिवस महर्षि वेद व्यास का अवतरण चातुर्मास का आरंभ ब्रह्मा सूत्र की रचना का प्रारंभ पंचम वेद महाभारत का पूर्णाहुति तथा मन्वंतर का आदि दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में बबली सिंह, चंचला सिंहा, सुधा सिंहा, मणीवाला शुक्ला, विभा सिंह, पूजा, अनिल सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, अनिरूद्ध शुक्ला, चंदन कुमार, संजीव श्रीवास्तव, रवि रंजन, राजन कुमार, रवि नंदन एवं अमर नाथ प्रसाद आदि का योगदान रहा।