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वाहन पड़ाव बन गया अक्षयवट राय स्टेडियम

वैशाली। वैशाली जिले में खेल हैं, खिलाड़ी हैं पर मैदान नहीं। रंग व उमंग है पर उसका सामान नहीं।

By Edited By: Published: Mon, 29 Jun 2015 09:22 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2015 09:22 PM (IST)
वाहन पड़ाव बन गया अक्षयवट राय स्टेडियम

वैशाली।

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वैशाली जिले में खेल हैं, खिलाड़ी हैं पर मैदान नहीं। रंग व उमंग है पर उसका सामान नहीं।

खिलाड़ियों के लिए खेल मैदान, संसाधन का टोटा शुरु से ही रहा है। मुख्यालय में एक मात्र अक्षयवट राय खेल मैदान ही था। मैदान की हालत ठीक नहीं होने के बावजूद फुटबाल, बैडमिंटन के कई चमकदार सितारे इसी मैदान के कोख से पैदा हुए। बाद के दिनों में क्रिकेट का अन्य खेलों पर छा जाने पर कई चमकदार खिलाड़ी राज्य स्तर पर पहचान बनायी। हालांकि बिहार में खेल की बदतर व्यवस्था के कारण आगे नहीं बढ़ सके। वे सभी नयी पीढ़ी को सींचना चाहते हैं लेकिन उनके समक्ष यक्ष प्रश्न है, कहां?

एक मात्र अक्षयवट राय स्टेडियम बदहाल

शहर का ऐसा खेल मैदान जहां नहीं होता है तो सिर्फ खेल। यहां होता है मनमानी और लापरवाही का खेल। हाजीपुर के एक मात्र अक्षयवट राय स्टेडियम हाजीपुर रेलवे की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला फुटबाल खिलाड़ियों को अभ्यास तक के लिए नसीब नहीं हो रहा है। बिना साधन-सुविधाओं के ही ये महिला फुटबाल खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रही हैं।

लाखों खर्च पर नहीं सुधर सकी स्टेडियम की सूरत

मैदान को स्टेडियम का रुप देने के लिए उस पर करोड़ों खर्च किए गए। वर्ष 2010 में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत 48 लाख 64 हजार 2 सौ रूपये की लागत से इस स्टेडियम का जीर्णोद्धार हुआ था। महज चार वर्षो में ही स्टेडियम की हालत फिर बद से बदतर हो गयी।

स्टेडियम में सुविधाओं का अभाव

यहां बनाये गये शौचालय, बाथरूम, पेयजल एवं स्टेडियम को जल जमाव से निजात दिलाने के लिए बना नाला ध्वस्त हो चुका है।

महिला खिलाडि़यों को होती है परेशानी

स्टेडियम में बने ग्रीन रूम के दरवाजे, खिड़कियां दीमक का ग्रास बन गयी। जब कोई खेल का आयोजन होता है, महिला खिलाड़ी पर्दा टांग कर अपने कपड़े बदलती हैं। इस तरह की शर्मनाक स्थिति के कारण खेल का कोई बड़ा आयोजन होने पर यहां की स्थिति से वाकिफ दूसरे जिले की महिला खिलाड़ी यहां खेलने से हाथ खड़े कर लेती हैं।

लोकसभा चुनाव में मैदान का हुआ कबाड़ा

स्टेडियम में वाहन लगवा कर प्रशासन ने पहले ही मैदान का कबाड़ा कर दिया था। रही सही कसर विधान परिषद चुनाव को लेकर हो रही सभाओं ने पूरी कर दी है। हर माह कोई न कोई सभा व कार्यक्रम स्टेडियम में आयोजित हो रहे हैं। बैरिकेटिंग, बांस-बल्ला गाड़े जाने के कारण मैदान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला फुटबालरों को नहीं मिलती अभ्यास के लिए जगह

राष्ट्रीय महिला फुटबाल टीम से हाजीपुर रेलवे जोन की आधा दर्जन से अधिक महिला खिलाड़ी खेल रही है। इंडिया कैप्टन अंशा भी हाजीपुर की ही हैं। कई महिला खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर चुकी हैं। उन खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए मैदान तक नहीं मिल पाता है। हर सुबह स्टेडियम के एक कोने में जागिंग, स्ट्रेचिंग, वार्म अप कर वे सभी स्टार खिलाड़ी घर लौट जाती हैं।

मनोरंजक स्थल व संसाधन का अभाव

कभी सुंदर बाग-तड़ागों का शहर कंक्रीट के जंगल के रुप में तब्दील हो चुका है। शहर में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां लोग शाम में घूमने-फिरने जा सकें। कहीं कोई पार्क, मनोरंजक स्थल नहीं है। रंग कर्म के लिए ही आम्रपाली नगर कला भवन का निर्माण हुआ था। अब यह सभा-समारोह के लिए काम में आ रहा है। रंग कर्म मृतप्राय हो चुका है। उंगली पर गिनने लायक बचे रंगकर्मी अपना ही शव अपने कंधे पर ढ़ोते आ रहे हैं। मनोरंजन के साधन के रुप में सिनेमा हाल ही हैं। सिनेमा हाल में होने वाले हुड़दंग व अश्लील फिल्मों के लगे होने के वजह से कोई भी सभ्य व्यक्ति अपने परिवार के साथ सिनेमा देखने जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकते। वर्षो पहले ही लोग हाल को टाटा-बाय-बाय कर चुके हैं।

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कभी चमकदार क्रिकेट खिलाड़ी रहे इकबाल हयात खां कहते हैं मैदान के कारण खेल प्रतिभा उभर नहीं पा रहे हैं। ले-दे कर एक मैदान भी है तो सभा, कार्यक्रम से ही उसे फुर्सत नहीं मिलती।

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प्रतिभाशाली क्रिकेटर विजय कहते हैं कि मैदान के कारण दूसरे जिले की टीमें यहां खेलने नहीं आना चाहती। यहां के खिलाड़ियों को भी खेलने के लिए जगह नहीं है। इसी स्टेडियम में वे सभी प्रैक्टिस भर करते हैं।

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उदयीमान क्रिकेटर विजय कहते हैं कि मैदान के अभाव में वे सोनपुर जाकर प्रैक्टिस करते हैं। सरकार व प्रशासन से खिलाड़ी केवल मैदान की मांग करते आ रहे हैं पर यह उन सभी के भाग्य में लिखा ही नहीं है।

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खिलाड़ी विश्वजीत भी वही सब कुछ दुहराते हुए कहते हैं कि एक मात्र मैदान को भी प्रशासन मैदान रहने दे तब न। यह स्थिति तब है जब वैशाली के डीएम विनोद सिंह गुंजियाल खुद भी उम्दा खिलाड़ी हैं। उनके स्तर से भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ।


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