मौसम की बदमिजाजी ने फल उत्पादकों के अरमानों पर फेरा पानी
संवाद सूत्र, लालगंज एकाएक मौसम की बदमिजाजी ने फल उत्पादन के लिए मशहूर लालगंज अंचल के आम, लीची उत्प
संवाद सूत्र, लालगंज
एकाएक मौसम की बदमिजाजी ने फल उत्पादन के लिए मशहूर लालगंज अंचल के आम, लीची उत्पादकों की उम्मीदों पर न सिर्फ पानी बरसाया बल्कि पानी भी फेर दिया। प्रखंड कृषि अधिकारी विक्रमादित्य मांझी की ही माने तो सबसे अधिक नुकसान आम-लीची के मंजरों को हुआ है और जहां खेतों में तैयार रबी की फसल तकरीबन 35 फीसदी क्षतिग्रस्त हुई है। वहीं आम, लीची के मंजर 60 प्रतिशत से भी अधिक बर्बाद हो गए हैं।
इस बार फलों के पेड़ मंजरों से लदे थे और उत्पादकों, व्यापारियों का दिल बाग-बाग था। मगर पहले तो मधुआ रोग ने इन्हें काफी हद तक बर्बाद किया और रही-सही कसर ओलावृष्टि और तेज आंधी ने पूरी कर दी। उत्पादक भी हताश हैं और फलों के व्यवसायी भी। तेज पछिया हवा ने लगातार इनकी जड़ खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिर दो-तीन दिनों तक बारिश होती रही और अब आंधी, ओला के रूप में मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। हालांकि जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के निर्देश पर संबद्ध सरकारी मशीनरी नुकसान के आकलन हेतु तत्काल सक्रिय हो उठी है और उत्पादकों को उम्मीद भी बंधी है कि शायद सरकार रहम खा कर इसकी कुछ भरपायी भी करे। वैसे जो मंजर बच गए हैं, वे मधुआ रोग के हमले से बच जाएंगे, यह खुशी भी उन बागवानी में लगे किसानों को है। जिनके पेड़ कुछ हद तक आबाद रह गए हैं। किसान जीतेंद्र सिंह, देवेंद्र प्रसाद सिंह, मनोज सिंह, ओमप्रकाश शुक्ला समेत ऐसे बड़े-बड़े फल उत्पादकों ने बताया कि बिहार फलों के उत्पादन में मुल्क में दूसरे पायदान पर है और सूबे में वैशाली जिले में दरभंगा को पछाड़ कर कम से कम आम के उत्पादन में अव्वल दर्जा हासिल कर लिया है। स्वाभाविक है कि यहां की अर्थव्यवस्था और यहां के लोगों की उम्मीदें व्यापक स्तर पर इनके उत्पादन से जुड़ी हैं तथा इस साल नजारा ही कुछ अलग था जब पत्ते नहीं दिख रहे थे और पेड़ मंजरों से पूरी तरह लद गए थे। यहां के नामीडीह, घटारो, रेपुरा, पोंझिया, सिरसा, सहथा, चंदवारा, जलालपुर, एतवारपुर, परमानंदपुर, टोटहां, कुसदे, मानपुर, जगन्नाथ बसंत, सररिया, युसुफपुर, खंजहाचक, वृंदावन समेत और भी दर्जनों गांव आम की ऐसी उम्दा किस्मों के लिए जाने जाते हैं जिनका विदेशों तक निर्यात होता है। वैसे तंबाकू उत्पादक भी सिर पीट रहे हैं। क्योंकि सुखने के लिए रखी गई तंबाकू की पत्तियां कल के मौसमी हमले का बुरी तरह शिकार हुई हैं।