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भव्य कलश यात्रा के साथ लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ शुरू

जागरण संवाददाता, हाजीपुर हरिहरक्षेत्र स्थित गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् में आयोजित ब्रह्माोत्सव सह ल

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST)
भव्य कलश यात्रा के साथ लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ शुरू

जागरण संवाददाता, हाजीपुर

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हरिहरक्षेत्र स्थित गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् में आयोजित ब्रह्माोत्सव सह लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ को लेकर गुरुवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गयी। कलश यात्रा में शामिल पुरूष एवं महिला श्रद्धालुओं के गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो के भजन से हरिहर क्षेत्र का वातावरण गुंजायमान हो उठा। पुरूष श्रद्धालु पीले रंग की ध्वजा एवं महिलाएं सिर पर जल कलश धारण कर रखी थीं। हरिहरक्षेत्र की पावन भूमि पर कई राज्यों के साधु-संत जुटे हैं।

जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज के मंगलानुशासन में विद्वत आचार्यो की टोली के साथ सैंकड़ों की संख्या में स्त्री-पुरूष श्रद्धालुओं ने देवस्थानम से जल कलश यात्रा शुरु की। कलश जुलूस हरिहर क्षेत्र मंदिर, ड्रोलिया चौक, छत्रपति रोड, सिद्धिनाथ चौक, महेश्वर चौक होते हुए गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम घाट पहुंची। यात्रा के दौरान सभी श्रद्धालु पीला वस्त्र धारण कर रखा था। पुरूष श्रद्धालु हाथ में पीले रंग का ध्वज जबकि महिलाएं सिर पर जल कलश धारण कर रखी थीं। पूरे राह जुलूस में शामिल श्रद्धालु गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो का भजन गाते चल रहे थे। घाट पर पहुंच कर सभी कलश यात्रियों ने पवित्र नारायणी में डूबकी लगा कर अपने आपको पवित्र कर कलश में जलभरी की। घाट पर कलश श्रृंखला बद्ध कर थल मातृका, स्थल मातृका का पूजन कर नारायणी की महाआरती हुयी। इसके बाद वापसी के लिए यात्रा प्रारंभ हुआ। वापस यज्ञ शाला पहुंच कर आचार्यो ने वैदिक रीति से याज्ञिक कार्य प्रारंभ किया। प्रथम दिन के अनुष्ठान संपन्न कराने के बाद स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने समस्त श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन निरर्थक है। जल गर्भ से लेकर मृत्युपर्यत तक बहुत ही उपयोगी है। समस्त प्राणियों की शुद्धि, मुक्ति जल से होती है। जगत के स्थावर, जंगम, कीट-पतंगे यानि सभी चराचर प्राणियों का जीवन जल पर ही निर्भर है। जल के बिना याज्ञिक कार्य पूर्ण हो ही नहीं हो सकता। उन्होंने ब्रह्माोत्सव की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रह्माोत्सव दर्शन का बड़ा ही महात्मय है। ब्रह्माोत्सव दर्शन से जीव का पुर्नजन्म नहीं होता। वह जन्म-मरण के झंझट से मुक्ति पा लेता है। उन्होंने बताया कि पहली बार भगवान ब्रह्मा ने ही ब्रह्मादर्शन का महोत्सव मनाया था। उसी के उपलक्ष्य में यह ब्रह्माोत्सव मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि ष्डदिवसीय ब्रह्माोत्सव के प्रत्येक दिन दर्शन-पूजन का अलग महात्मय और फलाफल है। इस मौके पर स्वामी जी विष्णुचीत जी दिलीप भंग, नवल किशोर सिंह, शशि कुमार सिंह, संजीव कुमार झा, ओंकार सिंह, वीणा सिंह, सुधांशु सिंह, राकेश सिंह समेत हाजीपुर, सारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, आरा, बक्सर, वाराणसी के बड़ी संख्या में आए भक्त एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।


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