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किसानों को दी गई मौसम पूर्वानुमान की जानकारी

संवाद सूत्र, हाजीपुर : वैशाली जिला के हरिहरपुर स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में गुरुवार को किसान जागरू

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 11:59 PM (IST)
किसानों को दी गई मौसम पूर्वानुमान की जानकारी

संवाद सूत्र, हाजीपुर : वैशाली जिला के हरिहरपुर स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में गुरुवार को किसान जागरूकता कार्यक्रम के तहत किसानों को मौसम पूर्वानुमान की गहन जानकारी दी गयी।

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कृषि विभाग के अधीन संचालित मौसम इकाई राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, बिहार के बैनर तले आयोजित गोष्ठी में आरएयू पूसा के कृषि वैज्ञानिक, पीडी आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र हरिहरपुर के कृषि वैज्ञानिक शामिल थे। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मौसम पूर्वानुमान की विधियों की गहन जानकारी देते हुए बताया कि पूर्वानुमान सटीक हो तो किसान फसलों के होने वाले नुकसान से काफी हद तक बच सकते हैं। इस दौरान कृषि विश्वविद्यालय पूसा के नोडल पदाधिकारी डा. आईबी पांडेय ने जानकारी देते हुए कहा कि किसान मौसम का पूर्वानुमान किए बिना किसान खेती करते हैं। इससे खेती पर लागत भी अधिक आता है। उन्हें मौसम की जानकारी सही समय पर मिल जाये तो वे अधिक उपज व लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को यह जानना आवश्यक है कि बदलते मौसम में किस तरह की फसल कहां पर लगाया जाये और किन-किन प्रभेदों का चुनाव किया जाये ताकि उस पर बदलते मौसम का प्रभाव कम पड़ सके।

श्री पांडेय ने किसानों को सुझाव दिया कि आज के दौर में जितनी अधिक मात्रा में रसायनिक उर्वरक एवं कीटनाशी दवाओं का प्रयोग हो रहा है इसका भूमि, वातावरण एवं जल पर सीधा और प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस कुप्रभाव को दूर करने के लिए हम उसमें कौन-कौन से बदलाव कर सकते हैं। इस पर सोचने की आवश्यकता है। रसायनिक खाद के उपयोग की मानसिकता को बदलकरजैविक खाद के प्रयोग पर बल देना होगा ताकि उपज में गिरावट को रोका जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यक्रम समन्वयक डा. देवेन्द्र कुमार ने किया। गोष्ठी को भारत सरकार के वैज्ञानिक डा. आरके गिरि, डा.एम कुमार निदेशक शोध पूसा, परियोजना निदेशक आत्मा वेदनारायण सिंह, डा. एके सिंह, डा. टीपी महतो, डा. वीणा शाही ने संबोधित किया। डा. एके सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि साठ-सत्तर के दशक में हमारा देश खाद्यान्न के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहता था, लेकिन आज हमारे कृषि वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील किसान अपने बल पर भारत को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर कर दिया है। अधिक अनाज के उत्पादन के लिए उन्होंने मिट्टी जांच पर जोर दिया। इस मौके पर वेद नारायण सिंह ने पूसा से आये कृषि वैज्ञानिक व नोडल पदाधिकारी से आग्रह किया कि समय-समय हमारे जिला के किसान मौसम में बदलाव की जानकारी मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी फसल की सुरक्षा कर सके।


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