विद्यालय का ढ़हा छप्पर, बाल-बाल बचे मासूम
संवाद सूत्र, पातेपुर
प्रखंड क्षेत्र के बाजीतपुर कुशाही गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय के सैंकड़ों मासूम काल-कलवित होते बाल-बाल बचे। क्लास में जाने के साथ ही विद्यालय का खपरैल छप्पर ढ़ह गया। संयोग अच्छा था कि छप्पर ढ़ह कर नीचे गिरने के बजाए हवा में ही लटक कर रह गया। घटना की सूचना पर गांव में अफरातफरी बच गयी। बच्चों को ठीकठाक देखकर अभिभावकों ने राहत की सांस ली। विद्यालय के जर्जर होने के संबंध में पहले कई बार विभागीय अधिकारियों अगाह कर दिया गया था बावजूद किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। घटना की सूचना के बावजूद कोई अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचे।
जानकारी के अनुसार प्रखंड के राघोपुर नरसंडा पंचायत के बाजीतपुर कुशाही गांव में राज्यकीयकृत प्राथमिक विद्यालय है। यह विद्यालय 1978 में स्थापित हुयी। विद्यालय के लिए स्थानीय रामआश्रय मिश्रा ने एक कट्ठा जमीन दी थी। जमीन के उसी छोटे टुकड़े में विद्यालय के दो कमरे बने हैं। दो कमरों में ही वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है। विद्यालय का कार्यालय भी उसी में है। यहां करीब डेढ़ सौ बच्चे नामांकित हैं। एक सौ छात्रों की नियमित उपस्थिति बनती है। यहां ज्यादातर पढ़ने वाले बच्चे दलित वर्ग के हैं। पठन-पाठन के लिए बस दो शिक्षक बहाल हैं। विद्यालय के पास एक कट्ठा से अधिक जमीन न होने का खामियाजा यहां पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। विद्यालय भवन निर्माण मद में विभागीय स्तर से राशि इसी को लेकर उपलब्ध नहीं करायी जा रही है। रखरखाव के अभाव में विद्यालय भवन वर्षो पहले ही जर्जर हो चुका था। बासी खिचड़ी व अक्षर ज्ञान के लालच में स्थानीय महादलित वर्ग के लोग बच्चों को जानबूझ कर मौत के मुंह में भेजते आ रहे थे। स्थानीय शंकर मिश्र, सुरेश मिश्र, सुनील झा, दीपलाल राय, रामबाबू मिश्र, रंजीत दास, भोला दास, गर्भू दास, गुलाब दास, विनोद दास, भाजपा नेता नरेश कुमार आदि बताते हैं कि अब तक गांव के लोग ही विद्यालय के छप्पर की मरम्मत कराते आ रहे थे। शिक्षा परियोजना में रखरखाव, नए भवन का निर्माण मद में राशि होने को लेकर गांव के लोगों ने अपना हाथ खींच लिया। वर्षो से विद्यालय के फूसनुमा छत की मरम्मत नहीं हुयी। क्लास रुम में पानी टपक रहा था। पिछले दिनों हुयी भारी वर्षा के बाद छप्पर धंस गया था। गरीब परिवार के बच्चे मिड डे मिल के लालच में स्कूल आना नहीं छोड़ा। आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। भगवान का शुक्र है कि किसी बच्चे का बाल बांका तक नहीं हुआ। भगवान खुद खड़े होकर मासूमों की रक्षा की। छप्पर लटक कर ही रह गया। स्थानीय मुखिया पति राम कृपाल पासवान, विद्यालय शिक्षा समिति की अध्यक्ष धर्मशीला देवी, सचिव सुनैना देवी बताते हैं कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर शिक्षा परियोजना एवं जिलास्तर के पदाधिकारियों से इस ओर ध्यान आकृष्ट करा विद्यालय भवन का निर्माण कराए जाने की मांग की गयी थी। विद्यालय के नाम कम जमीन होने का हवाला देकर शिक्षा विभाग ने अपने हाथ खींच लिए। ग्रामीणों का कहना है कि कम जमीन में विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो सकता तो फिर शिक्षा विभाग इस विद्यालय को बंद क्यों नहीं कर देती? गरीब परिवार के मासूम बच्चे मौत के मुंह में जाने से तो बच जाएंगे। ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी गहरी नाराजगी थी कि हादसे की सूचना देने के बाद भी पातेपुर बीडीओ, सीओ व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी घटनास्थल पर झांकने तक नहीं आए।