पैसेंजर ट्रेन का इंजन भगवानपुर स्टेशन पर फेल
जागरण संवाददाता, हाजीपुर : सोनपुर रेल मंडल के हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेल खंड के भगवानपुर स्टेशन पर शुक्रवार को 55209 सोनपुर-गोरखपुर पैसेंजर ट्रेन का इंजन फेल हो गया। जिसके कारण शुक्रवार की रात लगभग दस बजे तक वह ट्रेन भगवानपुर स्टेशन पर खड़ी रही। घंटों ट्रेन के वहां खड़ी रहने के कारण यात्री गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे। क्योंकि इस ट्रेन पर सवार लंबी दूरी के यात्रियों का काफी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। वहीं आस-पास के स्टेशनों के यात्री दूसरे ट्रेन अथवा सड़क मार्ग से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए।
जानकारी के अनुसार सोनपुर-गोरखपुर पैसेंजर ट्रेन शुक्रवार को हाजीपुर स्टेशन से 5 बजकर 3 मिनट पर खुल कर 6 बजकर 17 मिनट पर भगवानपुर स्टेशन पहुंची। यह ट्रेन पहले से ही अपने नियत समय से लगभग पांच घंटे विलंब से चल रही थी। उक्त ट्रेन के भगवानपुर स्टेशन पर पहुंचने का निर्धारित समय दिन के 1 बज कर 21 मिनट है। लेकिन यह ट्रेन दोपहर की बजाए शाम 6 बजे कर 17 मिनट पर भगवानपुर स्टेशन पहुंची। भगवानपुर स्टेशन पर ट्रेन का इंजन फेल हो जाने से इस ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों के बीच अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया। ट्रेन को गंतव्य की ओर रवाना करने के लिए दूसरे इंजन की व्यवस्था रेल प्रशासन की ओर से देर रात्रि तक नहीं की गई थी। परिचालन कंट्रोल को इसकी सूचना दिये जाने के बावजूद फेल इंजन की जगह उसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने में सोनपुर रेल डिविजन के संबंधित अधिकारियों ने कोई तत्परता नहीं दिखाई। जिसकी वजह से वह ट्रेन लगभग चार घंटे तक भगवानपुर स्टेशन पर खड़ी रही और यात्री रेल प्रशासन को कोसते रहे। इस बीच बारिश की वजह से भी ट्रेन में बैठे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इस बाबत पूछे जाने पर परिचालन कंट्रोल के एक कर्मचारी ने कहा कि इंजन में कोई खराबी आ जाने की वजह से ट्रेन के परिचालन में विलंब हुआ। बाद में उसी इंजन को ठीक करके ट्रेन को रात के दस बजे के बाद रवाना किया गया है। यह पूछे जाने पर कि इंजन फेल हुआ है तो उन्होंने कहा कि वैकल्पिक तौर पर दूसरे इंजन की व्यवस्था किये जाने की स्थिति में ही इंजन फेल माना जा सकता है। इस परिस्थिति में इंजन में खराबी कही जा सकती है। शब्दों की बाजीगरी चाहे जो भी हो लेकिन रेलवे की इस कुव्यवस्था का खामियाजा इंजन फेल होने की वजह से भगवानपुर स्टेशन में जिस प्रकार यात्रियों को भुगतना पड़ा उससे रेलवे की लचर कार्यशैली स्पष्ट रूप से उजागर हो गयी है।