..पता नहीं कब दौड़ेगी उम्मीदों की रेल
सुपौल। ..पता नहीं कब दौड़ेगी उम्मीदों की रेल। यातायात सहित कई मामलों में सदैव पिछड़ा रहा यह कोसी का इलाका रेलवे के मामले में हमेशा से उपेक्षित रहा है।
सुपौल। ..पता नहीं कब दौड़ेगी उम्मीदों की रेल। यातायात सहित कई मामलों में सदैव पिछड़ा रहा यह कोसी का इलाका रेलवे के मामले में हमेशा से उपेक्षित रहा है। सामरिक ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण माने जाने के बावजूद भी कभी इस रेलखंड को मुख्य धारा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त न हो सका। और न ही यहां के लोगों को कभी लंबी दूरी की गाड़ियों की कोई सुविधा ही नसीब हो पाई। जब पूरे देश में अमान परिवर्तन की लहर चली आखिरी पायदान पर खड़ा रहा यह इलाका। समय-समय पर लंबे-चौड़े वायदे किए गए। यहां के लोगों को हमेशा विकास के रंगीन सपने दिखाए गए। ..और चढ़ने को पूरे देश की छंटी हुई बोगियां तथा नमूने के तौर पर छोटी रेल।
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2004 में भी जगा था भरोसा
बाजपेयी सरकार के रेलमंत्री नीतीश कुमार, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीश,खाद्य आपूर्ति मंत्री शरद यादव फरवरी 2004 को सरायगढ़ पहुंचे थे और सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर अमान परिवर्तन की नींव रखी थी। रेलमंत्री ने कहा था कि सरायगढ़ से सकरी और सहरसा से फारबिसगंज तक अमान परिवर्तन की इस परियोजना की लागत 335 करोड़ की है और रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति के बाद ही इसे पूरक बजट में लिया गया। उस समय अपने संबोधन में नेताओं ने सुरक्षा व सामरिक ²ष्टिकोण से सीमावर्ती इलाके में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया था। चुनाव का वक्त आ गया सत्ता पलट गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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छह साल से रेलखंड पर लगा है मेगा ब्लाक
हालांकि रहनुमाओं की कृपा ²ष्टि पड़ी और विभाग ने तत्परता दिखाते हुए पहली बार 20 जनवरी 2012 से रेलखंड के आधे हिस्से राघोपुर-फारबिसगंज के बीच मेगा ब्लाक कर दिया। हठात ऐसा लगा कि अब कोसी के इलाके के भी दिन बहुरेंगे और रेलवे के मामले में यह पिछड़ा इलाका जल्द ही देश के अन्य भागों से जुड़ जायेगा। लेकिन परिवर्तन की गति काफी धीमी रही। 1 दिसंबर 2015 को राघोपुर से थरबिटिया के बीच मेगा ब्लाक लिया गया। लेकिन कार्य में कोई खास गति नहीं बन सकी।
25 दिसंबर 2016 को थरबिटिया से सहरसा के बीच मेगा ब्लाक
लिए जाने के बाद सहरसा से गढ़-बरुआरी के बीच कार्य की रफ्तार तेज कर दी गई। कार्य की गति से ऐसा लगा कि वाकई अपने निर्धारित समय सीमा में रेलगाड़ी इस रेलखंड पर दौड़ पड़ेगी। बरुआरी से आगे सुपौल की ओर भी अमान परिवर्तन कार्य में कुछ गति दिखाई पड़ी जो धीरे-धीरे ठंडी होने लगी है। नतीजा है कि लोगों की उम्मीद भी ठंडी पड़ती जा रही है।