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..कोसी मैया! अब तो रहम करो

सुपौल [मिथिलेश कुमार]: इठलाती, बलखाती, कहर मचाती कोसी के तेवर कम होने के नाम नहीं ले

By Edited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 05:14 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 05:14 PM (IST)
..कोसी मैया! अब तो रहम करो

सुपौल [मिथिलेश कुमार]: इठलाती, बलखाती, कहर मचाती कोसी के तेवर कम होने के नाम नहीं ले रहे है। कोसी के तल्ख तेवर से चार प्रखंडों के 170 से अधिक गांव जलमग्न हैं। वहां के बाढ़ प्रभावित लोग सड़क, स्पर, राहत शिविर सहित अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं। बुधवार को भी कोसी का डिस्चार्ज बराज पर 2,84,000 क्यूसेक रिकार्ड किया गया। कोसी के लगातार बढ़ रहे जलस्तर से प्रभावित गांवों में खलबली है। लोग सशंकित हैं कि उन्हें कब तक कोसी के कहर से जूझना पड़ेगा। फिलहाल कोसी का कहर जिले के छह प्रखंड किशनपुर, सरायगढ़-भपटियाही, मरौना, निर्मली, सुपौल व बसंतपुर में दिख रहा है। इन प्रखंडों की स्थिति बाढ़ ने भयावह बना कर रख दी है। लोगों के घरों में बाढ़ का पानी है, खेतों में लगे फसल बर्बाद हो चले हैं और लोगों के समक्ष खाने-पीने की समस्या आन खड़ी हुई है। नतीजा है कि प्रशासनिक उदासीनता से आहत बाढ़ पीड़ित जगह-जगह धरना-प्रदर्शन का सहारा लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। चलिए देखते हैं प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति किशनपुर प्रखंड का परसामाधो, बौराहा, नौआबाखर, मौजहा, दुबियाही आदि पंचायत कोसी की बाढ़ से पूर्ण प्रभावित है। वहीं इसी प्रखंड का मुरकुचिया, पीरगंज, मोमिन टोला, झखराही, ठाढ़ी धत्ता उत्तर, ठाढ़ी धत्ता दक्षिण, खखई आदि गांव आंशिक प्रभावित है। बौराहा के बेंगा में राहत शिविर खोला गया है। कोसी की इस त्रासदी में इस प्रखंड के अब तक 180 से अधिक घर कटकर कोसी में विलीन हो गया है। सरकारी स्तर पर प्रभावितों के लिए नौ नाव चलाने की बात कही जा रही है। जबकि सच्चाई है कि प्रभावितों को सभी नौ नावों की सुविधा नहीं मिल रही। कुछ नावों पर दबंगों के कब्जे की बात भी सामने आ रही है। प्रशासन द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में हुए नुकसान व फसल की क्षति के आकलन को ले सर्वेक्षण कराये जाने की बात की जा रही है। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के एक दर्जन से अधिक गांवों की हालत बाढ़ ने खराब कर रख दी है।

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इन गांवों में है 3-4 फीट पानी

कोसी का पानी बलथरबा पलार, बनैनिया पलार, भूलिया, कटैया भूलिया, गढि़या उत्तर, गिरधारी उत्तर, सियानी, ढोली, कटैया, उग्रीपट्टी, तकिया, बाजदारी, कबियाही, कड़हरी, लौकहा पलार, कोढ़ली पलार, गौरीपट्टी, कल्याणपुर पश्चिम आदि गांवों में तीन से चार फीट की उंचाई तक फैला हुआ है। लोगों को जान-माल के साथ-साथ ही माल-मवेशी की चिंता परेशान किये हुए है। हालांकि सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के बाढ़ प्रभावित कुछ गांवों में फैले पानी की उंचाई में थोड़ी कमी आयी है। किन्तु कोसी बराज से छोड़े जा रहे पानी से पानी बढ़ने की आशंका प्रबल हो गई है। मरौना प्रखंड का हाल सबसे बेहाल है और यहां त्राहिमाम की स्थिति है।

सिकरहट्टा-मझारी मुख्य सुरक्षा बांध पर पानी का दबाव

सिकरहट्टा-मझारी मुख्य सुरक्षा बांध पर पानी का दबाव बना हुआ है हालांकि विभाग यहां बोल्डर क्रेटिंग के कार्य में मुस्तैद है। सिसौनी, बड़हारा, घोघड़रिया में जहां कोसी का कहर है। वहीं हड़री, गनौरा, परसौनी, परिकोच, कोनी, ब्रह्मोतर के इलाके में तिलयुगा नदी के उफान से प्रभावित है। मरौना प्रखंड में लगभग 40-45 गांवों में बाढ़ का कहर बरप रहा है। मंगासिहौल व घोघररिया में राहत शिविर खोले गए हैं।

तिलयुगा के रूख में नरमी

निर्मली प्रखंड में तिलयुगा के रूख में नरमी आयी है और इलाके में घुस आया पानी थोड़ा घटा है। नरमी के बावजूद इलाके में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। बाढ़ प्रभावितों के लिए निर्मली में खोले गए तीन राहत शिविरों में से दो को बंद कर दिया गया है। जबकि एक शिविर अब भी संचालित है। बेलापलार, दिघिया पलार, लक्ष्मीनियां पलार आदि में अब भी बाढ़ के पानी का दबदबा दिख रहा है। निर्मली अंचल प्रशासन द्वारा पन्द्रह हजार लोगों के प्रभावित होने व पांच हजार लोगों के विस्थापित होने की बात कही जा रही है। फिलहाल प्रभावित क्षेत्रों के बाढ़ पीड़ित कोसी मैया की दुहाई दे रहे हैं और कह रहे हैं कि मैया अब तो रहम करो।


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