बरसात आते ही सिहर उठते ग्रामीण, होती परेशानी
सुपौल। जदिया थाना क्षेत्र के कोरियापट्टी पश्चिम पंचायत अंतर्गत खूंट गांव में जीवन-यापन कर रहे सैकड
सुपौल। जदिया थाना क्षेत्र के कोरियापट्टी पश्चिम पंचायत अंतर्गत खूंट गांव में जीवन-यापन कर रहे सैकड़ों हिन्दू एवं मुस्लिम वर्ग के परिवार वालों को उनके अपने रीति-रिवाज के अनुरूप नहीं बल्कि सुरसर नदी के मर्जी के अनुरूप अपने बच्चों के शादी-विवाह की तिथि भी तय करनी पड़ती है। बरसात के आगमन के साथ ही यहां अन्य मुसीबतों के साथ बारात के स्वागत पर भी पाबंदी लग जाती है। सुरसर तथा छुरछुरिया नदी के बीच बसा यह टापूनुमा गांव आजादी के बाद से ही उपेक्षा का शिकार है। यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क एवं बिजली ही नहीं सिर्फ समस्या है बल्कि अपने मन के अनुरूप समय व जगह पर बच्चों की शादी भी करना बड़ी समस्या है।
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सड़क है एक बड़ी समस्या
आजादी के समय से ही पगडंडी के सहारे गांव से बाहर निकलते हैं लोग। हालांकि वर्ष 2008 के बाद छुरछुरिया नदी पर पुल का निर्माण किया गया है। किन्तु उस रास्ते से मुख्यालय जदिया आने के लिए लोगों को दो किलोमीटर के बदले करीब पाच किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है। इसके बावजूद भी छुरछुरिया नदी के अगले हिस्से में नदी पार करने की नौबत बनी ही है।
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बरसात के दिनों में खड़ी होती मुसीबत
बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से
कोसों दूर इस गांव में बरसात के दिनों में शिक्षा व्यवस्था भी चौपट हो जाती है। यहां तक कि ससमय डाक्टर के पास नहीं पहुंच पाने के कारण प्रत्येक वर्ष एक दो लोगों को इलाज के अभाव में जान भी गंवानी पड़ती है। किन्तु इस गांव के लोग इसे भी एक अभिशाप समझ कर जीने को विवश हैं।