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उद्धारक की बाट जोह रहा उप स्वास्थ्य केन्द्र

सुपौल। वह स्वास्थ्य केन्द्र भला दूसरों के स्वास्थ्य का देखभाल कैसे कर सकेगा जो 10 वर्षो से भी अधि

By Edited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 03:00 AM (IST)
उद्धारक की बाट जोह रहा उप स्वास्थ्य केन्द्र

सुपौल। वह स्वास्थ्य केन्द्र भला दूसरों के स्वास्थ्य का देखभाल कैसे कर सकेगा जो 10 वर्षो से भी अधिक समय से खुद ही संक्रमण जैसे रोगों से पीड़ित है। मामला जदिया थाना क्षेत्र के बघैली पंचायत अंतर्गत स्थित प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र का है। जो वर्षो से खुद अपनी देखभाल के लिए उद्धारक की तलाश में है। उक्त स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना के बारे में हालांकि ग्रामीणों के द्वारा अधूरी जानकारी ही प्राप्त हो सकी। किन्तु ग्रामीणों का कहना था कि 1990 के दशक में उक्त स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण का कार्य संपन्न हुआ। वर्ष 2005 तक एएनएम एवं कंपाउंडर का आना-जाना लगा रहा। किन्तु वर्ष 2005 के बाद से यह उप स्वास्थ्य केंद्र महज एक शोभा की वस्तु बनकर रह गयी। पन्द्रह हजार से

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अधिक आबादी वाले इस क्षेत्रवासियों ने 2005 के बाद अपने उपस्वास्थ्य केन्द्र में कभी भी डॉक्टर तो दूर एएनएम भी नहीं देखा है। वही इस उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन भी रख रखाव के अभाव में जर्जर हो चला है। बदहाली का अभिशाप झेल रहे उक्त स्वास्थ्य केंद्र ने करीब पंद्रह हजार आबादी वाले इस क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य का जिम्मा लेना तो दूर बल्कि खुद ही आखिरी सांसे गिनना शुरू कर दिया है। मो.महमूद आलम का कहना है कि 11 वर्षो से भी अधिक समय से इस उप स्वास्थ्य केंद्र के मामले को लेकर कई बार सदर हास्पीटल त्रिवेणीगंज से सुपौल तक जानकारी दी गयी। किन्तु किसी ने भी इसकी सुध तक लेना मुनासिब नहीं समझा। मो. अहमद कहते हैं कि पन्द्रह हजार से भी ज्यादा आबादी है इस क्षेत्र का। किन्तु अचानक कोई बीमार हो जाये तो ग्रामीण चिकित्सक ही भगवान बनकर सामने खड़े होते हैं।


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