विभागीय निर्देश की अनदेखी, घर पर चलता केंद्र
सुपौल। विभाग के आदेश का कोई मायने नहीं रखता है पिपरा बाल विकास परियोजना के लिए। मतलब
सुपौल। विभाग के आदेश का कोई मायने नहीं रखता है पिपरा बाल विकास परियोजना के लिए। मतलब विभाग के आदेश पर कही न कही आपसी सेटिंग-गेटिंग भारी बना हुआ है। विभाग ने सभी परियोजना को आदेश देते हुए कहा है कि केन्द्र संचालन किसी भी हाल में सेविका-सहायिका के निजी घर पर नहीं होना है। परन्तु यहां आलम ऐसा है कि आज के तारीख में भी अधिकांश केन्द्र सेविका या फिर सहायिका के घर पर संचालित हो रही है। हालांकि विभागीय अधिकारी बराबर केन्द्र निरीक्षण की बात करते हैं, परन्तु ताज्जुब है कि क्यों नहीं इन बाबुओं की नजर इन पर पड़ती है।
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किराया भी होता है उपलब्ध
आदेश के साथ-साथ विभाग प्रत्येक केन्द्र का भाड़ा सात सौ रूपया प्रतिमाह रूपया देता है। परन्तु घर पर केन्द्र संचालन करने वाली सेविका किसी दूसरे व्यक्ति का नाम दर्ज कर इन पैसे को भी डकार जाती है।
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केन्द्र को भवन का है घोर अभाव
प्रखंड क्षेत्र में वर्तमान में सैकड़ों केन्द्र संचालित है। परन्तु कई केन्द्र को अपना भवन नसीब नहीं हो पाई है। शायद इसी का परिणाम है कि सेविका-सहायिका की मनमानी चरम पर है और विभाग चुप।