विद्यालय को अपना भवन नहीं, एमडीएम की क्या गारंटी
ऐसे विद्यालयों का संचालन किसी के दरवाजे अथवा सरकारी जमीन पर बनाये गये कच्ची झोपड़ी में किय
ऐसे विद्यालयों का संचालन किसी के दरवाजे अथवा सरकारी जमीन पर बनाये गये कच्ची झोपड़ी में किया जा रहा है। ऐसे भवनहीन विद्यालयों में पठन पाठन पूरी तरह मौसम के मिजाज पर निर्भर है। भवन तथा समुचित संसाधनों के अभाव मे ऐसे सभी विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवा पाना दुष्कर है। कभी बारिश की वजह से पढ़ाई बाधित होती है तो कभी तेज धूप की वजह से बच्चे मुश्किल मे पड़ जाते हैं। इन विद्यालयों में एमडीएम का संचालन भी भाग्य- भरोसे चलाया जा रहा है। खिचड़ी पकती कहीं, रखा जाता कहीं और बच्चों को खिलाया जाता है कहीं। न तो विद्यालय को अपना भवन और न ही अपना किचेन ऐसे में बच्चों को स्वच्छ और पौष्टिक एमडीएम खिलाने की गारंटी कैसे दी जा सकती है? रही बात गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने की तो स्थिति का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।