तीन सौ से अधिक घर जलमग्न, अन्यत्र शरण लिये बाढ़ पीड़ित
सुपौल। पिछले एक सप्ताह से हो रहे बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र के घोघड़रिया पंचायत के तटबंध
सुपौल। पिछले एक सप्ताह से हो रहे बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र के घोघड़रिया पंचायत के तटबंध के अन्दर बसे खुखनाहा, मानाटोला, लक्षमिनिया, सिसौनी पंचायत के जौबाहा, जौबाहा छीट, बड़हारा के पिपरापाती, पंचगछिया आदि गाव के 300 सौ से अधिक घर को कोसी ने अपने गोद में समा लिया है। बाढ़ से प्रभावित लगभग 500 सौ से अधिक लोग मध्य विद्यालय मंगासिहौल व घोघड़रिया में शरण लिये हुये है रहे। इनके लिए प्रशासन व जनप्रतिनिधि द्वारा भोजन का व्यवस्था किया गया है। वही इन प्रभावितों के लिए चलंत शौचालय, प्लास्टिक आदि की भी व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई है। फिर भी इन बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच समस्या ही समस्या है। इन्हें बार-बार इस बात की चिंता सता रही है कि हम अपने घर को छोड़ इस शिविर में कब तक रहेंगे। इधर जैसे ही एक सप्ताह बाद फिर शनिवार को 2 लाख 41 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया तो एक बार फिर कोसी के तटबंध के अन्दर के लोग सहम उठे और अफरा-तफरी मचने लगा। बीच में फंसे लोग फिर पलायन करने लगे। जनप्रतिनिधि और प्रशासन फिर बीच में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए तत्पर दिख रहे है। लोग आनन-फानन में बीच से बाहर तो निकल रहे थे। लेकिन उन लोगों को बाहर निकलने से अधिक अपने घर की चिंता सता रही है। बाढ़ की उग्रता को देखते हुए प्रशासन ने भी अब राहत व बचाव कार्यो में तेजी ला दी है। जहा तटबंध के अन्दर से बाहर निकालने के लिए भरपूर नाव उपलब्ध कराये है। वहीं बाहर शरण लिये विस्थापित लोगों को भी सुविधायें उपलब्ध करा रहे है। हालांकि शुक्रवार को बराज क्षेत्र से छोड़े गये अत्यधिक पानी के कारण तटबंध के कई गावों में पानी के बढ़ने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। बड़हारा के पिपरापाती गांव के लगभग 34
घरों में भी पानी काफी मात्रा में घुस गया है। जिन में से करीब सात-आठ परिवारों के घर कोसी में विलीन हो चुके है। जबकि शेष बचे घरों पर भी खतरा का बादल मंडरा रहा है। जलसंसाधन विभाग ने बाधों की सुरक्षा के लिए तैनात कर्मियों को सचेत रहने को कहा है । वही जिला स्तर से भी बाढ़ पीड़ित लोगों की देखभाल में किसी भी तरह की कंजूसी नहीं बरतने के आदेश दिये गये है। इधर लोगों की समस्याओं को देख स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधि भी बाढ़ पीड़ितों को अपने स्तर से हर संभव सहायता देने से पीछे नहीं है। फिलहाल कोसी बराज से छोड़े गये पानी में कोई कमी नहीं दिख रही है। जिससे बाढ़ पीड़ितों की तबाही घटने के वजह बढ़ती ही जा रही है।