उजड़े चमन में हरियाली की बहार
सुपौल। 2008 की कुसहा त्रासदी के बाद क्षेत्र के लाचार व बेबस बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ-साथ हरियाली फैलाने में भी बुजुर्गों के लिए समर्पित संस्था हेल्पेज इंडिया पूरी तन्मयता से जुटी हुई है।
सुपौल। 2008 की कुसहा त्रासदी के बाद क्षेत्र के लाचार व बेबस बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ-साथ हरियाली फैलाने में भी बुजुर्गों के लिए समर्पित संस्था हेल्पेज इंडिया पूरी तन्मयता से जुटी हुई है। 2008 की विभीषिका के बाद राघोपुर, बसंतपुर, छातापुर व प्रतापगंज प्रखंड के बालू से पटे इलाकों में फलदार वृक्ष वितरित कर इस उजड़े चमन को हरा-भरा करने में संस्था ने सराहनीय भूमिका निभाई है। करीब पांच वर्ष पहले राघोपुर, बसंतपुर, छातापुर व प्रतापगंज प्रखंड के सात पंचायतों में संस्था ने फलदार पौधे वितरित कर लोगों को समृद्ध करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मुहिम शुरू की। इसके तहत इन इलाकों में हजारों पौधे वितिरित कर बेजान भूमि को हरियाली में तब्दील करने का अभियान चलाया। संस्था द्वारा अपने बुजुर्ग स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पौधे लगाने का अभियान चलाने के बाद अब वे नियमित रूप से रोपे गए पौधे की देखभाल करने में भी जुटे हुए हैं। जिसका परिणाम यह है कि लगभग पांच वर्ष पहले राघोपुर, बसंतपुर, छातापुर व प्रतापगंज प्रखंड के विभिन्न गांवों में हजारों की संख्या में लगाए गए पौधे अब फलदार वृक्ष का रूप ले लिया है। संस्था के बिहार व झारखंड राज्य प्रमुख गिरीश चन्द्र मिश्र बताते हैं कि वर्ष 2012 में संस्था की तरफ से कोशी की मार से वीरान इस इलाके में फलदार पौधे वितरित करने का कार्य शुरू किया गया। जिसके तहत अब तक राघोपुर, बसंतपुर, छातापुर व प्रतापगंज प्रखंड के सात पंचायतों में करीब 24 हजार फलदार पौधे लगाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा शुरू किए गए इस कार्य का मकसद पर्यावरण संरक्षण के तहत इस क्षेत्र को हरा-भरा करने के साथ-साथ फलदार वृक्ष के माध्यम से लाचार एवं बेबस लोगों को समृद्ध करना भी था।
कई स्तर पर हो रहा पर्यावरण संरक्षण
संस्था द्वारा इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। हेल्पेज इंडिया के सुपौल जिला के परियोजना पदाधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि राघोपुर, बसंतपुर, छातापुर व प्रतापगंज प्रखंड के विभिन्न गांवों में व्यक्तिगत रूप से करीब 90 वर्मी कम्पोष्ट यूनिट बनाए गए हैं। साथ ही राघोपुर प्रखंड के परमानंदपुर स्थित आपदा भवन के प्रांगण में संगठित रूप से अब तक 82 वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाए गए हैं। जिसके माध्यम से लोगों को रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में जैविक खाद का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही छातापुर प्रखंड के बलुआ पंचायत में दो चारकोल यूनिट लगाने की कोशिश भी की गई है।