छात्रों को तय करनी पड़ती है 12 किमी की दूरी
सुपौल। सुरसर पार प्रखंड के कटहरा पंचायत को बड़े बजट के विकास की दरकार है। हालाकि पं
सुपौल। सुरसर पार प्रखंड के कटहरा पंचायत को बड़े बजट के विकास की दरकार है। हालाकि पंचायत निधि मद से विकास की कवायद जारी है लेकिन बड़ी आबादी को विविध मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। खास कर पक्की सड़कों के मामले में विपन्न इस पंचायत का प्रखंड मुख्यालय से सीधा सड़क संपर्क तक नहीं है। सुरसर नदी पर पुल निर्मित नहीं रहने की वजह से यहा की बड़ी आबादी को सोहटा होते हुए अथवा नरपतगंज के नाथपुर होते हुए लंबी दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय तक आवागमन करना पड़ता है। पंचायत से एक मात्र पक्की सड़क गुजरी है जो नरपतगंज सीमा को जोड़ती है। जबकि शेष पंचायत में कच्ची व ईंट सोलिंग सड़कों का साम्राज्य है। ऐसा नहीं है कि प्रयास
नही हुआ। प्रयास का नतीजा ही था कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में बिहार
सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग से जारी राज्य कोर नेटवर्क नाम से प्रकाशित बुकलेट में पंचायत में नौ सड़कों की जरूरत को महसूस किया गया। इतना ही नहीं राज्य स्तरीय दल द्वारा कई दौर का स्थलीय सर्वेक्षण भी हुआ। लेकिन विडंबना है कि कार्यारंभ नहीं हुआ और स्थिति जस की तस बनी है। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर पंचायत में एक अदद उपस्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है और लोगों को नरपतगंज, छातापुर पीएचसी सहित ग्रामीण चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। शिक्षा के लिए पंचायत में तीन मध्य विद्यालय एवं छह प्राथमिक विद्यालय संचालित है। लेकिन उच्च विद्यालयी शिक्षा के लिए छात्रों को
12 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है वह भी नदी पार कर। 14 वार्डो से
निर्मित इस पंचायत के मात्र पाच वार्डो को आशिक रूप से विद्युत सेवा से आच्छादित किया जा सका है। लोगों ने बताया कि 2008 के कुसहा त्रासदी के बाद से पंचायत वासियों को दूषित जल सेवन करना पड़ रहा है। पंचायत की अधिकाश आबादी गरीब लेकिन बीपीएल सूची में नाम नहीं रहने के कारण सरकारी लाभ से वंचित हो रहे हैं। वहीं खाद्य सुरक्षा गारंटी योजना के
सर्वेक्षण में बरती गयी अनियमितता के कारण सैकड़ों पात्र परिवारों को
योजना लाभ नहीं मिल पा रहा है।