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राशि उठाव के बाद भी नहीं पड़ सकी नींव

सुपौल। गरीबों को मिलने वाले आवास योजना में भले ही बड़े पैमाने पर बदलाव किया गया हो परन्तु जिले में वित्तीय वर्ष 2016-17 से पूर्व इंदिरा आवास योजना के नाम से संचालित इस योजना की शत-प्रतिशत सफलता में गरीब ही बाधक बनते रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 03:00 AM (IST)
राशि उठाव के बाद भी नहीं पड़ सकी नींव
राशि उठाव के बाद भी नहीं पड़ सकी नींव

सुपौल। गरीबों को मिलने वाले आवास योजना में भले ही बड़े पैमाने पर बदलाव किया गया हो परन्तु जिले में वित्तीय वर्ष 2016-17 से पूर्व इंदिरा आवास योजना के नाम से संचालित इस योजना की शत-प्रतिशत सफलता में गरीब ही बाधक बनते रहे। परिणाम है कि आज की तारीख में भी जिले के 25313 ऐसे लाभुक हैं जिन्हें आवास निर्माण के प्रथम किस्त की राशि दी गई। परन्तु निर्माण के नाम पर एक ईट भी खड़ा नहीं कर पाये। विभाग द्वारा कार्रवाई किये जाने के बाद भी इस दिशा में कोई खास प्रगति देखने को नहीं मिल रही है। दरअसल वित्तीय वर्ष 2010-11 से वित्तीय वर्ष 2015-16 के बीच जिले में 68346 लाभुकों को आवास निर्माण के प्रथम किस्त की राशि दी गई थी। जिसमें महज 43033 लाभुकों ने ही इस राशि का उपयोग भवन निर्माण में किया। शेष 25313 लाभुक राशि प्राप्त करने के बाद भी भवन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया। हालांकि विभाग ऐसे लाभुकों को समय-समय पर न सिर्फ भवन बनाने की याद दिलाता रहा। बल्कि कईयों पर कार्रवाई भी की गई। बावजूद आज भी इस मद से बनने वाले आवास निर्माण की गति धीमी बनी हुई है। हालांकि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के बाद योजना के स्वरूप में फेरबदल कर न सिर्फ योजना का नाम बदल दिया है। बल्कि लाभुकों के चयन से लेकर राशि तक में भी बढ़ोतरी कर दी है। सरकारी प्रावधान के मुताबिक आवास निर्माण में मिले प्रथम किस्त की राशि से जब तक निर्धारित स्तर तक भवन निर्माण नहीं हो जाता है तब तक उन्हें दूसरी किस्त नहीं दिया जाना है।

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56 लाभुक पर हो चुकी है प्राथमिकी दर्ज

जिले में ऐसे प्रथम किस्त प्राप्त कर भवन निर्माण शुरूआत नहीं करने वाले 56 लाभुकों के उपर प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी है। प्रावधान के मुताबिक यदि लाभुक प्रथम किस्त उठाव के बाद यदि आवास निर्माण कार्य नहीं करते हैं तो पहले उसे सफेद नोटिस भेजा जाता है। इसके बाद भी यदि उनके द्वारा निर्माण नहीं किया जाता है तो फिर लाल नोटिस दिया जाता है। लाल नोटिस के बाद भी यदि लाभुकों द्वारा निर्माण की दिशा में पहल नहीं की जाती है तो फिर निलाम पत्र वाद तथा अंत में प्राथमिकी दर्ज की जाती है। फिलहाल जिले में आवास नहीं बनाने वाले 1000 लाभुक को उजला नोटिस, 528 को लाल नोटिस, 84 पर निलाम पत्र वाद तथा 56 पर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा चुकी है।

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प्रखंडवार प्रथम किस्त प्राप्त कर आवास निर्माण नहीं करने वाले लाभुकों की संख्या

-प्रखंड का नाम-आवास नहीं बनाने वाले लाभुकों की संख्या

-छातापुर---------------4001

-बसंतपुर---------------2262

-किशनपुर--------------2759

-मरौना----------------2091

-निर्मली---------------876

-पिपरा---------------1730

-प्रतापगंज-------------1498

-राघोपुर---------------685

-सरायगढ़-------------1568

-सुपौल----------------4216

-त्रिवेणीगंज-------------3627


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