सड़कों पर लगती गाड़ी, होता सड़क जाम
सुपौल। शहर स्वच्छ, सुन्दर व व्यवस्थित दिखे इसके लिए शहर की अपनी भी कुछ आवश्यकताएं होती है।
सुपौल। शहर स्वच्छ, सुन्दर व व्यवस्थित दिखे इसके लिए शहर की अपनी भी कुछ आवश्यकताएं होती है। इन आवश्कताओं को पूरा किये बिना शहर के सुन्दर मुखड़े व शक्ल-सूरत की बात करना बेमानी है। इन्हीं आवश्यकताओं में एक है शहर में पार्किंग की व्यवस्था। अगर पार्किंग की व्यवस्था रहेगी तो गाड़ियां यत्र-तत्र सड़कों पर नहीं खड़ी की जाएंगी और शहर का मुखड़ा सुन्दर दिखेगा।
तीन दशक के बाद भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं
सुपौल को जिला बने तीन दशक होने को आये। बावजूद शहर में अब तक पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पायी है। नतीजा है कि पार्किंग के अभाव में वाहन मालिक व चालक अपने वाहन को मजबूरन सड़क किनारे या सड़क पर ही खड़ा करने को विवश होते हैं। जिस कारण सड़क आवागमन प्रभावित हो होता ही है। आये दिन जाम की समस्या से भी लोगों को रूबरू होना पड़ता है। शहर में एक भी स्थायी पार्किंग नहीं है। विभिन्न बैंक शाखाओं को भी अपना पार्किंग नहीं है। नतीजा है कि बैंक उपभोक्ता अपने वाहन को शाखा के आगे सड़क पर ही खड़ी कर काम-काज निपटाते हैं।
पार्किंग की बात उठी पर पूरा नहीं हो पाया सपना
शहर में पार्किंग की भी व्यवस्था हो इसको लेकर प्रशासन कुछ वर्ष पूर्व सजग हुआ था। बात चली थी कि लोहियानगर चौक पर लोहिया जी की प्रतिमा के पीछे पड़ी खाली सरकारी जमीन पर पार्क और पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। पर बात आगे नहीं बढ़ पायी और पार्किंग बनाने का सपना अधूरा ही पड़ा रहा। आज शहर का आलम यह है कि शहर के सभी मुख्य चौक-चौराहे पर गाड़िया खड़ी रहती है, आवागमन प्रभावित होता रहता है और शहरवासी इसे अपनी नियति ही मान बैठे हैं। लोहियानगर चौक पर प्रशासन द्वारा यदा-कदा एक बोर्ड रखा जाता है। जिस पर लिखा होता है कि यहां गाड़ी पार्किंग करना मना है। अगर विभाग सजग हो तो सड़क पर गाड़ी लगाने वालों पर सख्ती दिखाए तो शायद शहर की सूरत-सीरत बदले। इसके लिए शहर में पार्किंग का होना तो जरूरी है ही।