जलजमाव व कीचड़ ने बाजार की बिगाड़ी सूरत
सुपौल। प्रतापगंज बाजार स्थित शकर चौक का चौराहा जलजमाव स्थल बन गया है। कहने को तो चौराहे
सुपौल। प्रतापगंज बाजार स्थित शकर चौक का चौराहा जलजमाव स्थल बन गया है। कहने को तो चौराहे से गुजरने वाली सभी सड़कें पीडब्लूडी की पक्की सड़क है। लेकिन इसका वास्तविक हाल और रखरखाव भगवान भरोसे चल रहा है। पीडब्लूडी विभाग की देखरेख में आए कर्मियों ने कई बार स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही कोई निदान ढूंढ लिया जाएगा। लेकिन जब अब बारिश का मौसम आ गया और जलजमाव स्थायी हो गया है तो सामने से गुजरने वाली सरकारी रोड एम्बुलेंस भी बेफिक्र गुजरते हुए कीचड़ में चल रहे लोगों को मुंह चिढ़ा रही है। उक्त सड़क बाजार आवाजाही की प्रमुख सड़क है। प्रतापगंज बाजार, प्रखंड कार्यालय, स्टेट बैंक, ग्रामीण बैंक, प्रतापगंज हाट और प्रतापगंज बाजार स्थित दोनों उच्च विद्यालय तक पहुंचने के लिए एक मात्र विकल्प है। खास तौर से बालिका उच्च विद्यालय प्लस टू तक जाने वाली लड़कियों के लिए इस सड़क को पार करना काफी मुश्किल हो रहा है। आए दिन पार करने के क्रम में चप्पल के कीचड़ में गुम हो जाने व कपडे़ कीचड़मय हो जाने पर इन विद्यालयों की छात्रायें बैरंग घर वापस होने को
मजबूर होती है। कभी-कभी तो खाली पैर स्कूल पहुंचने को भी वे विवश हो रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस सड़क होकर आए दिन पदाधिकारी की गाड़ी भी जाती है। दो वर्षो से स्थिति जस की तस बनी है। लेकिन किसी भी स्तर से समाधान की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो पा रहा। सशक्त तरीके से इस सड़क के प्रति विभाग का ध्यान आकृष्ट करा पाने में जहा स्थानीय पदाधिकारी अपने को अलग रखना चाहते। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पीडब्लूडी के कर्मियों पर अपना ठीकड़ा फोड़ इस मामले को मन की बात मानते जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि दो वर्ष पहले ही इस सड़क का कालीकरण हुआ। कालीकरण के बाद ही बारिश होने पर सड़क पर पानी आ ठहरा और अब पक्की सड़क का कंक्रीट और कीचड़ चलने में मुसीबत बन गया है।
गौरतलब है कि कीचड़युक्त इस सड़क के पास रोड आर पार एक छोटी पुलिया भी है। जो काफी पुरानी है। पुरानी होने के कारण और रोड को उपर उठाने से यह पुलिया रोड से काफी नीचे चली गयी और रोड निर्माण कंपनी ने इस पुलिया को जामकर जल जमाव की समस्या को स्थायी बना दिया। आसानी से अपना काम निकालने के चक्कर में निर्माण कंपनियों ने रोड के पश्चिमी छोड़ तक बनी नाला की भी अनदेखी कर दी। पश्चिमी छोर पर बना नाला जल निकासी के लिए पुलिया तक निर्माण किया गया था जो 2005 में भवानीपुर दक्षिण पंचायत की योजना से बनाया गया था। सरकारी राशि का दुरूपयोग कहें या विभागीय उदासीनता। न तो उक्त नाला किसी काम का है और न ही इसको जोड़ने वाली पुलिया ही। स्थानीय मनोज छाजेड़, मनीष कुमार, संतोष
पंजियार, श्रीप्रसाद साह, उज्जवल कुमार, हीरा साह,पप्पू चौधरी बताते हैं कि सड़क की नाजुक स्थिति के कारण अब उनका व्यवसाय भी मुसीबत में पड़ गया है। कपडे़ गीले कर ग्राहक अब इन दुकानों से दूर भाग रहे हैं। वहीं जाना पहचाना ग्राहक रोड को छोड़ बास बल्ले के किनारे वाले हिस्से से काफी सावधानी से आर पार होने की मजबूरियों के बीच वर्तमान रोड व्यवस्था को खरी खोटी कह रहे।