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बड़ी बिल्डिंग, लाखों खर्च सिर्फ नाम के

सुपौल। बड़े भव्य मकान, लंबा-चौड़ा परिसर, बड़ा नाम बावजूद अपने हाल पर कराह रहा है सदर अस्पताल। सब कुछ हो

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 01:00 AM (IST)
बड़ी बिल्डिंग, लाखों खर्च सिर्फ नाम के
बड़ी बिल्डिंग, लाखों खर्च सिर्फ नाम के

सुपौल। बड़े भव्य मकान, लंबा-चौड़ा परिसर, बड़ा नाम बावजूद अपने हाल पर कराह रहा है सदर अस्पताल। सब कुछ होते हुए भी मरीज यहां जिस बेहतर इलाज की उम्मीद से आते उसे वह नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि लोग अब इसे प्राथमिक उपचार वाला अस्पताल कहने लगे हैं। बुधवार को ओपीडी के समय जब आन द स्पॉट किया गया तो अस्पताल में कमजोर व्यवस्था के कई नमूने सामने आए।

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कफ सीरप तक नहीं मिलती मरीजों को

दिन के बारह बज रहे थे। दवा काउंटर की तरफ से एक वृद्ध हाथ में पूर्जा लिए आ रहे थे। उनसे यह पूछने पर कि दवा काउंटर पर दवा मिली कि नहीं तो उनका कहना था कि डाक्टर कफ सिरप लिखा है लेकिन वहां कहता है कि कफ सिरप नहीं है। दवा काउंटर पर जब पता किया तो यह जानकारी मिली कि कफ सिरप कई दिन से अस्पताल में नहीं है। वहीं बी कम्पलेक्स सिरप व खुजली की दवा भी नदारद है। कई दवाइयों की तो अल्टरनेट दवा मरीजों को दी जा रही थी।

बरामदे पर रखी थी लाश

आन द स्पॉट के दौरान ही सदर अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था का नायाब रूप देखने को मिला। सवा बारह बजे खून से लथपथ दो लोगों को टेम्पो पर लाद अस्पताल लाया गया और दोनों को इजरजेंसी में पहुंचाया गया। पता चला कि दोनों दुर्घटना के शिकार हैं। उस दो में से एक को चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। लेकिन विडम्बना देखिए कि उस लाश को शव गृह में रखवाने के बजाय स्ट्रेचर पर लाद वहीं बरामदे पर ही रख दिया। जिसके चलते वहां काफी भीड़ इकट्ठी हो गई। इतना ही नहीं ड्रे¨सग व आपातकालीन कक्ष में घायल का इलाज चल रहा था। वहां भी काफी भीड़ लगी थी। भीड़ के कारण घायल के इलाज में जुटे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उस भीड़ को वहां से हटाया जाय इसकी ¨चता अस्पताल प्रशासन के किसी भी व्यक्ति को नहीं थी।

एम्बुलेंस है कई माह से खराब

सदर अस्पताल में कुल मिलाकर चार एम्बुलेंस है। जिसमें से 102, 108, 1099 व जिला परिषद की एक-एक एम्बुलेंस शामिल है। इन चार में एक यानि 1099 नम्बर वाली महीनों से खराब पड़ी है जिसे अबतक ठीक नहीं करवाया गया है। सदर अस्पताल में साफ-सफाई की भी स्थिति दयनीय है। आन द स्पॉट के दौरान पाया गया कि इमरजेंसी वार्ड की पश्चिमी भाग की खिड़की के बाहर जूठे फेंके हुए थे। इसके अलावा अस्पताल के अन्य भागों में भी कचरे फेंके हुए थे।


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