कुहासे ने थामी रफ्तार, शीतलहर की आहट
सुपौल। दिसंबर महीना शुरू होते ही ठंड ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। शुरू के दो तीन दिनों तक तो
सुपौल। दिसंबर महीना शुरू होते ही ठंड ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। शुरू के दो तीन दिनों तक तो मौसम सामान्य सा प्रतीत हो रहा था लेकिन इधर पांच दिनों से मौसम ने धीरे-धीरे अपना मिजाज बदलना शुरु कर दिया है। सुबह जहां कोहरे का कहर होता है वहीं शाम में ठंड काफी बढ़ जाती है। गुरुवार को सूर्यदेव के दर्शन भी दुर्लभ हो गये। शीतलहर ने अपनी आहट दे दी है। ठंड का कहर जारी है। लोगों की दिनचर्या बिगड़ चली है। ठंड से लोग परेशान हैं और जल्द समाधान के आसार भी नजर नहीं दिख रहे हैं। कुहासे का साम्राज्य है। दिन-रात का फर्क मिट सा गया है। आग ही लोगों का सहारा बना हुआ है। बूढ़े और बच्चों की तो शामत ही है। लोग घर से निकलना नहीं चाह रहे हैं। सुबह देर से दुकानें खुलती है और शाम होते-होते सन्नाटा छा जा रहा है। मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। बिजली विभाग की सख्ती और मीटर की रफ्तार से इस ठंड में भी लोग रूम हीटर का आनंद नहीं ले पा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानों पर रूम हीटर सजे पड़े हैं पर खरीदारों की तादाद न के बराबर है। पानी ठंडा करने वाला इमर्सन रॉड तो जैसे लोग भूल ही चुके हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बिजली बिल के खौफ के कारण लोगों के काम नहीं आ रहा। सीएफएल बल्ब लोगो को ठंड में राहत नहीं दे रहा और सौ वाट का बल्ब बिल के खौफ से जला नहीं सकते। यानि ठंड में फजीहत ही फजीहत। इस ठंड में आग ही गरीब और बेसहारो का सहारा है। पर यह भी सबो को नसीब नहीं। एक तो लकड़ी मिलती नहीं और कही मिल भी गए तो रेट 500 रुपया ¨क्वटल से कम नहीं।