सदर अस्पताल : व्यवस्था में सेंध लगा रहे बिचौलिये
सुपौल। सदर अस्पताल से बिचौलिया संस्कृति हटने का नाम नहीं ले रही है। स्थिति यह है कि सदर अस्पताल के क
सुपौल। सदर अस्पताल से बिचौलिया संस्कृति हटने का नाम नहीं ले रही है। स्थिति यह है कि सदर अस्पताल के किसी भाग व किसी विभाग में चले जाईये हर जगह इनकी पैठ बरकरार है। ओपीडी हो या इमरजेंसी, एक्स-रे हो या पैथोलॉजी, रोगियों का वार्ड हो या दवा काउंटर हर गेट पर नजर आते हैं ऐसे चेहरे।
जांच व एक्स-रे के नाम पर करते गुमराह
सदर अस्पताल में मंडराते बिचौलिये इतने शातिर हैं कि जांच व एक्स-रे के नाम पर रोगियों को बहला-फुसला कर निजी जांच व एक्स-रे सेंटर पर ले जाते हैं। बदले में उस जांच व एक्स-रे सेंटर के मालिक से अच्छी खासी कमीशन मिल जाती है। एक तरफ जहां सरकार द्वारा अस्पताल में मुफ्त जांच व एक्स-रे की व्यवस्था की गई है वहीं बिचौलिये रोगियों को बेहतर जांच व एक्स-रे कराने के नाम पर आर्थिक दोहन करते हैं।
कई निजी क्लिनिक के लिए काम करता है बिचौलिया
सदर अस्पताल में मंडराते कई बिचौलिये निजी क्लिनिक के लिए भी काम करता है जहां से उसे अच्छी-खासी रकम मिल जाती है। निजी क्लिनिक के लिए काम करने वाले बिचौलिये इमरजेंसी कमरे के बाहर बरामदे पर घूमते रहते हैं और जैसे ही इमरजेंसी से उसे बाहर रेफर किया जाता है उस मरीज के परिजन को बेहतर इलाज का झांसा देकर तय चिकित्सक के क्लिनिक में ले जाते हैं और फिर वहां जम कर आर्थिक दोहन किया जाता है।
झोले में लेकर बेची जाती है सूई व दवा
सदर अस्पताल का दवा काउंटर बंद होने के बाद बिचौलिये झोले में दवा व सूई लेकर घूमते रहते हैं और मनमाने कीमतों पर मरीजों के परिजनों के हाथों बेचते हैं। खास कर रात में जब शहर की सभी दुकाने बंद हो जाती है तो अस्पताल परिसर में बिचौलिये की अपनी मर्जी चलती है। रोगी के परिजन करे भी तो क्या करे। उसे अपने मरीज का इलाज जो करवाना है। सदर अस्पताल में हमेशा घूमते बिचौलिये का अस्पताल के कुछ कर्मियों से गहरी सांठगांठ है। उनका सबकुछ तय तमन्ना रहता है। रातों में दवा व सूई बेचने वाले से भी अस्पताल कर्मी की अलग व्यवस्था होती है।