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फुटपाथ: इस शहर में जिसका कोई मतलब नहीं

सुपौल। फुटपाथ जिसका कोई मतलब नहीं रह गया है इस शहर में। भले ही स्वच्छ,सुंदर सड़क और व्यवस्थित शहर की

By Edited By: Published: Wed, 04 May 2016 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 05:41 PM (IST)
फुटपाथ: इस शहर में जिसका कोई मतलब नहीं

सुपौल। फुटपाथ जिसका कोई मतलब नहीं रह गया है इस शहर में। भले ही स्वच्छ,सुंदर सड़क और व्यवस्थित शहर की परिकल्पना ले विकास की परिभाषा गढ़ी गई हो लेकिन कस्बानुमा इस शहर में सबकुछ उलट है। एक तो शहर के मुख्य सड़कों में भी कहीं फुटपाथ का ख्याल नहीं रखा गया है। लेकिन मुख्य बाजार में जहां फुटपाथ बनाने में नगर परिषद को काफी मशक्कत करनी पड़ी, अब उस पर एक बाजार सजाया जाने लगा है। कुछ जगहें ऐसी हैं जहां एक निर्धारित समय में चलंत दुकानें सजती हैं और फिर हटा ली जाती हैं। लेकिन कई जगहों पर तो इसे अस्थाई शक्लों में स्थाई रूप दे दिया गया है। ऐसे भी फुटपाथ का अब कोई खास मतलब नहीं दिखाई देता, दुकानें ही बढ़ते सड़कों तक आ गई हैं।

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- फुटपाथ पर सजी दुकानों को भी है परोक्ष रूप से मान्यता

फुटपाथ पर सजी दुकानों को भी जैसे नगर परिषद ने मान्यता सी दे रखी है। ऐसी दुकानों से भी जिनके नाम हाट की बंदोबस्ती होती है,उनके द्वारा पैसे की वसूली हुआ करती है। हद तो यह है कि ऐसी जगह जहां कहीं भी हाट लगाने की कोई जगह नहीं, नगर परिषद द्वारा बजाप्ता बंदोबस्त की जाती है। नतीजा होता है कि जहां-तहां सड़कों पर ही दुकान सज जाती है। शाम के वक्त तो अमूमन सड़कों पर आने-जाने के लिये भी रास्ता तलाशना पड़ता है।

- नालियों पर सजती दुकान

अतिक्रमण को ले उच्च न्यायालय के सख्त तेवर के बावजूद जिला मुख्यालय के मुख्य मार्ग स्थित अधिकांश नालियां अतिक्रमण का शिकार है।

सड़क के दोनों ओर नालियों पर सजी सैकड़ों दुकानें बरबस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दुकानदार जैसे नालियों पर दुकान सजाना अपना अधिकार मानते हैं। दुकान की आधी चीजें नाली के उपर रखे प्लेट पर रख कर ही बेची जाती है। नतीजा होता है कि कूड़ा-कचरा नाली के इर्द-गिर्द या फिर नाली में जमा होता है और गिरता है। फुटपाथ तो बच ही नहीं जाता। अतिक्रमण से मुक्त कराने को ले पूर्व में अनुमंडल प्रशासन व नगरपरिषद द्वारा भी कई बार अभियान चलाया गया। अतिक्रमण हटाया भी गया। किन्तु कुछ ही दिन बाद स्थिति जस की तस हो गई।

- निरंतर अतिक्रमण ने तो जैसे फुटपाथ की अवधारणा ही खत्म कर दी

निरंतर अतिक्रमण और अनियोजित विकास ने तो जैसे फुटपाथ की अवधारणा ही खत्म कर दी। शहर के स्टेशन चौक पर भले ही कुछ चौड़ी जगह को ही फुटपाथ बना दिया गया है। लेकिन आगे बढ़ते जाते ही जहां सड़क की चौड़ाई कम पड़ती गई है वहीं फुटपाथ का कोई अवशेष भी शेष नहीं है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर या तो सड़क ही दुकानों में सट गई है या फिर फिर दुकान ही सड़क तक आ पहुंची है।

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'जहां-तहां सजी दुकानों से वसूली बिल्कुल अवैध है। इसीलिये इस वर्ष ऐसी बंदोबस्ती को रोक दिया गया है। पहले सर्वेक्षण कराया जायेगा। सर्वेक्षण बाद ऐसे दुकानदारों को परिचय पत्र जारी कर उन्हें निर्धारित वेंडिंग जोन में स्थापित कर दिया जायेगा, जहां इन्हें सारी सरकारी सुविधायें उपलब्ध कराई जायेगी।'

-एसके मिश्रा

कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद सुपौल


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