मनुष्य शरीर है अनमोल: व्यासानंद महाराज
सुपौल। मनुष्य शरीर बहुत अनमोल है। यह शरीर सिर्फ खाने-पीने और सोने के लिए नहीं दिया गया है। इसके उपयो
सुपौल। मनुष्य शरीर बहुत अनमोल है। यह शरीर सिर्फ खाने-पीने और सोने के लिए नहीं दिया गया है। इसके उपयोगिता को जानें और इसकी उपयोगिता हमें तब मालूम पड़ती है, जब शरीर को परमात्मा के भक्ति में लगा देते हैं। यह शरीर बहुत दुर्लभता से प्राप्त हुई है। हमें इसकी उपयोगिता को जानना होगा और अपने जीवन को सार्थक बनाना होगा। उक्त बातें गुरूवार को पिपरा प्रखंड स्थित तुलापट्टी पंचायत के लालपट्टी गांव में आयोजित दो दिवसीय विराट ज्ञान यज्ञके पहले दिन परम पूज्य स्वामी व्यासानंद जी महराज अपने प्रवचन के दौरान बोल रहे थे। कहा कि संसार में कई जीव हैं। लेकिन मनुष्य जीव उसमें सर्वोपरि है। हमें इस शरीर को परमात्मा के भक्ति में लगाना होगा। तभी इसकी सार्थकता प्रमाणित होगी। जो मनुष्य परमात्मा की भक्ति में अपने को नहीं लगाते, शरीर को सिर्फ खाना, पीना और सोना के रूप में उपयोग करते हैं। अर्थात शरीर को मात्र संसार के भोग के रूप में उपयोग करते हैं। ऐसे मनुष्य शरीर में रहते हुए भी पशु समान है। जिसके अंदर ज्ञान है, वह समझो परमात्मा के करीब है। जिसके अंदर ज्ञान का प्रकाश नहीं है, वह पशु के समान है। मनुष्य रूपी शरीर को मोक्ष तब मिलता है जब वह अपने अंदर के दुर्गुण को त्याग कर संत के शरण में जाता है, तो वहीं संत उसे मोक्ष का रास्ता का बतलाता है। मनुष्य की दिली इच्छा मोक्ष के लिए होनी चाहिए। इसलिए सदगुरू महराज ने कहा है कि ये बाहरी रास्ता हमें अंधकार की ओर ले जाता है। हमें अंदर के रास्तों की पहचान करनी चाहिए और जब तुम्हें अंदर के रास्तों की पहचान हो जाएगी मानो यह जीवन धन्य हो जाएगा और तुम सुख के बहुत करीब पहुंच गए। तुम्हें यह शरीर अच्छे कर्तव्य करने के लिए मिला है। अच्छे कर्म करने वाले लोग ही कर्म लोक पहुंच पाते हैं और जो कर्मलोक पहुंचा मानो उसका जीवन ही सफल हो गया। मनुष्य शरीर परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए दिया है। सिर्फ कमाने-खाने से तुम्हारा जीवन धन्य नहीं हो सकता। बल्कि धर्म करो, अपने शरीर को दूसरे के दुख में तपाओ। तपाते रहो मोक्ष पा लोगे और जीवन तुम्हारा धन्य हो जाएगा। कहा कि कर्म कर के ही तुम परमात्मा के करीब पहुंच सकते हो। परमात्मा के करीब यदि तुम पहुंचना चाहते तो तुम्हें इस सांसारिक लोभ, ईष्र्या आदि से उपर उठना होगा। इसलिए सदगुरू कहते हैं कि यदि अपने जीवन को सफल करना है तो संत के शरण में आओ। सत्संग समारोह को सफल बनाने में स्थानीय मुखिया लक्ष्मीकांत भारती, सरपंच संजय कुमार सिंह, हीरा लाल मंडल, भागवत चौधरी, कमल प्रसाद यादव, योगेन्द्र चौधरी, सीताराम मंडल, दिनेश प्रसाद सिंह, हरिनंदन मंडल, चन्द्रशेखर शर्मा की काफी भूमिका सराहनीय देखी गई।