सड़कों पर ही होता बस का इंतजार
सुपौल। आजादी के छह दशक से अधिक गुजर जाने के बावजूद सरकारी तंत्र की उपेक्षा व अदूरदर्शिता तथा जनप्रति
सुपौल। आजादी के छह दशक से अधिक गुजर जाने के बावजूद सरकारी तंत्र की उपेक्षा व अदूरदर्शिता तथा जनप्रतिनिधियों की बेरूखी के कारण प्रखंड क्षेत्र के किसी भी बाजार में आज तक एक अदद स्थायी बस पड़ाव का निर्माण नहीं हो पाया है। नतीजतन बस पड़ाव के अभाव का दंश झेलने को विवश हैं यात्री और दुकानदार। चिलचिलाती धूप, तेज हवा एवं बारिश के मौसम में भी यात्रियों को सड़क किनारे गाड़ियों का इंतजार करना एक मानवीय विवशता है। उल्लेखनीय है कि प्रखंड क्षेत्र के सिमराही बाजार, गणपतगंज एवं करजाईन बाजार लेकर उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एनएच 106 गुजरती है। वहीं सिमराही बाजार होकर पूरब से पश्चिम ईस्ट-वेस्ट कारिडोर एनएच 57 गुजरती है। जाहिर सी बात है प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियों का जाना आना होता है। क्षेत्र के लोगों के अलावा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के लोगों को आवागमन का जरिया दोनों एनएच है। आजादी के 67 वें बसंत पार करने के बावजूद किसी भी बाजार में स्थायी बस पड़ाव का अब तक निर्माण नहीं होना विकास के दावों को सवालों के घेरे में खड़ा करता है। यात्रियों को गाड़ियों के इंतजार के दौरान तकलीफों से दो-चार होना दैनिक विवशता बनी हुई है। बस पड़ाव के अभाव में कड़ी धूप एवं मूसलाधार बारिश के मौसम में यात्रियों को एनएच किनारे खड़े होकर गाड़ियों की प्रतीक्षा करते हुए देखा जा सकता है। यात्रा के लिए प्रस्थान करने से पूर्व महिला, वृद्ध, बच्चे और बीमार यात्रियों की परेशानी व पीड़ा का अनुमान सहज लगाया जा सकता है। जब बस पड़ाव ही नहीं तो शौचालय की बात करना बेमानी है। बस प्रतिक्षा के दौरान दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले महिला-पुरूष यात्रियों को शौचालय की आवश्यकता महसूस होने पर बेपर्द होने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने शासन, प्रशासन सहित सरकार से मूलभुत सुविधायुक्त स्थायी बस पड़ाव सिमराही बाजार, राघोपुर, गणपतंगज और करजाईन बाजार में निर्माण की मांग की है।