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बेटियों में जगा रहे शिक्षा का अलख

सुपौल। कभी घर से तिरस्कृत बबलू आज शिक्षा दान से प्रतिष्ठा पा रहे हैं। अपने कर्म के बदौलत छोटे कद काठ

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 06:30 PM (IST)
बेटियों में जगा रहे शिक्षा का अलख

सुपौल। कभी घर से तिरस्कृत बबलू आज शिक्षा दान से प्रतिष्ठा पा रहे हैं। अपने कर्म के बदौलत छोटे कद काठी के बबलू ले उंची उड़ान भरी है। बबलू आज लड़कियों को शिक्षित करने के अभियान के तहत अपने घर, गांव-मुहल्ले के लड़कियों को आज मुफ्त ट्यूशन देते हैं। इसमें बबलू सातवीं क्लास से उपर की लड़कियों को अंग्रेजी तथा गणित की ट्यूशन देते हैं। बबलू के काम की चमक उनके गांव गिदराही से बाहर निकल कर दूसरे गांवों में पहुंच चुकी है। अब आसपास के कई दूसरे गांव की भी लड़कियां पढ़ने आ रही है। स्नातक की पढ़ाई कर चुके तथा तीन भाई में सबसे छोटा बबलू का कहना है कि 2008 में डीएस कालेज कटिहार से स्नातक करने के उपरांत 2010 में उनका चयन प्रखंड शिक्षक के रूप में हुआ। तीन माह तक गांव के बगल पंचायत स्थित मध्य विद्यालय में नौकरी की। परन्तु विद्यालय की व्यवस्था देख वह शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया। फिर क्या था इस्तीफा की खबर से घर में घमासान मच गया। रोज के ताने-बाने से तंग होकर फिर वह कटिहार चला गया। कटिहार में जाकर वह पहले घर-घर ट्यूशन पढ़ाने लगा। फिर एक कमरा किराये पर लेकर पढ़ाने लगा। इस कार्य में पैसे तो हो जाता था। परन्तु आत्म संतुष्टि नहीं मिलने के कारण घर वापस आ गया। घर आने के बाद करीब दो वर्ष पूर्व मन में कुछ अनूठा तथा कुछ अलग करने की इच्छा जागृत हुई। उसमें कई विचार आए मगर अंत में मेरा मन बेटियों को शिक्षित करने के अभियान पर केन्द्रित हुआ। तब से वे नि:शुल्क रूप से गांव की बेटियों को शिक्षित करने के अभियान पर केन्द्रित हुआ। तब से वे नि:शुल्क रूप से गांव की बेटियों को गणित व अंग्रेजी की तालीम दे रहे हैं। आगे बताते हैं कि शुरू के दिनों में परिवार इन बातों से तो खिजा रहता था। परन्तु अब पूरे परिवार का सहयोग मिल रहा है। बताते हैं कि पहली बार उनके द्वारा पढ़ाई लड़कियां इस बार मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होगी। पूरे आत्म विश्वास से कहते हैं कि उनके द्वारा पढ़ाए बच्चे निश्चित रूप से मैट्रिक परीक्षा में अव्वल रहेगी। खासकर गणित और अंग्रेजी विषय में तो अच्छा अंक मिलेगा ही। फिलहाल 25 लड़कियां अभी भी उनके पास रोज सुबह पढ़ने आती है। अब पढ़ने वाले बच्चों का दायरा गांव से बाहर भी फैल गया है। बबलू कहते हैं कि बेटियों को शिक्षित करना सबसे जरूरी है। कारण कि बेटी शिक्षित होगी तो समूचा परिवार शिक्षित होगा।


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