बहता गया पैसा, नहीं बुझ सकी प्यास
सुपौल। विधानसभा चुनाव 2015 के चुनावों की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आती जा रही है, त्यों-त्यों विभिन्न प
सुपौल। विधानसभा चुनाव 2015 के चुनावों की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आती जा रही है, त्यों-त्यों विभिन्न पार्टियों के नेता क्षेत्र का विकास करने को ले बड़े-बडे़ वादे करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। लेकिन नेता पूर्व के वादों की असफलता के कारणों को चुनावी
क्षणों में कुरेदना उन्हें असहज सा लगने लगता है। पाच वर्षो बाद ही आम लोगों को मौका लगता है। जब उन पहुंच रहे नेताओं को अपनी समस्याओं को दिखाने व नए-नए वायदे करवाने का। जनता अब भली भाति जान रही है कि यही क्षण है जब नेता उनकी समस्याओं की सुधि लेने का आश्वासन अवश्य ही देंगे। जागरुक जनता अपनी समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराने में काफी दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं। इनमें से एक शुद्ध पानी के नाम पर करोड़ों की राशि खर्च के बाद भी प्रखंड क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं हो पाने की समस्या भी शामिल है। चूंकि केन्द्र व राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद संपूर्ण प्रखंड एवं आसपास के लोगों के लिए स्वच्छ पेय जल की गंभीर समस्या के कारण लोग दूषित जल पीने को विवश है। हालांकि स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराए जाने की सरकार की कई योजनाओं में से एक राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम अंतर्गत सौर उर्जा चालित मिनी पाइप लाइन जलापूर्ति योजना भी अन्य योजनाओं की तरह फ्लाप शो साबित होकर रह गई। उक्त योजना अंतर्गत प्रखंड के 5 पंचायतों में 31 लाख 51 हजार 888 रूपया की लागत से प्रति पाईप लाइन इकाई का निर्माण बड़े ही जोर-शोर से विगत कुछ वर्षो पूर्व ही कराया गया। पाइप लाइन बिछाने के क्रम में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के प्रति एक नई आस जगी थी। पूर्व की योजनाएं राजीव गाधी पेयजल मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम, सजल ग्राम पुरस्कार आदि की विफलता के बाद उक्त योजना तक के लिए लोगों द्वारा लंबा सफर तय किया गया। लेकिन सफर के शुरूआती दौर में ही ग्रामीण पाइप लाइन जलापूर्ति योजना भी अन्य योजनाओं की तरह विफलता के कगार पर खड़ी हो गई। यही कारण है कि भौगोलिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र जल के मामले में धनी होते हुए भी लौहयुक्त पानी पीने से जलजनित बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। जनहित को लाभान्वित करने वाली करोड़ों राशि की लागत से बनाई गई इस जलापूर्ति योजना के तहत बनाए गए पंप हाउस का विधिवत उद्घाटन भी एक साथ सामूहिक रूप से सरकार के द्वारा किया गया था। लेकिन उद्घाटन से पूर्व ही रख रखाव के अभाव में कहीं पाइप लाइन में खराबी तो कहीं टूट चुके भेंट एवं स्टेंड पोस्ट आदि तहस-नहस हो चुके थे। इतने अर्से पश्चात उद्घाटन के बाद जलापूर्ति की आस लगाए लोगों के बीच पाइप लाइन के जर्जर हो जाने की स्थिति के कारण जलापूर्ति नहीं हो पाने की वजह से बनाए गए पंप हाउस की स्थिति हास्यास्पद बनी हुई है। बहरहाल लोगों की प्यास बुझाने को ले बनाया गया यह पाईप लाइन योजना लोगों की प्यास तो नहीं बुझा सकी। लेकिन करोड़ों की खर्च की गई राशि पानी में बहता अवश्य दिखता नजर आ रहा है।