बदहाली पर आंसू बहा रहा मैत्री द्वार
सुपौल। अपनी बदहाली पर रो रहा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित तोरण द्वार। गौरतलब है कि कोसी बराज का स्थापना
सुपौल। अपनी बदहाली पर रो रहा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित तोरण द्वार। गौरतलब है कि कोसी बराज का स्थापना काल का कार्य 1952 ई. से प्रारम्भ हुआ। इससे पूर्व 1950 ई. में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद व प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के प्रयास से भारत-नेपाल संधि की गयी थी। बराज स्थापना के समय शिलान्यास के लिए डा. राजेन्द्र प्रसाद कोसी बराज पधारे थे और उसी समय भीमनगर-कोसी बराज पथ पर यह तोरण द्वार मैत्री संबंध के स्मृति के रुप में बनाया गया था। इसे विभागीय लापरवाही कहा जाय या फिर कुछ और। लेकिन मजे की बात यह है कि कोसी बराज के रखरखाव के नाम पर हर वर्ष करोड़ो रुपये आवंटित व खर्च किये जाते है। लेकिन यह तोरण द्वार जो वर्ष 2000 ई. में यह पूरी तरह ध्वस्त हो गया 15 वर्ष बीतने के बाद भी आज तक नहीं बन सका।