युवाओं की दिनचर्या बिगाड़ रहा स्मार्ट फोन
सुपौल। बाबू साहब के हाथ स्मार्ट फोन क्या आया न खाने की सुध और न ही काम की चिंता। जब देखिये स्मार्ट
सुपौल। बाबू साहब के हाथ स्मार्ट फोन क्या आया न खाने की सुध और न ही काम की चिंता। जब देखिये स्मार्ट फोन में ही उलझे नजर आते हैं। यह हालत किसी एक बाबू साहब की नहीं बल्कि युवा पीढ़ी की ही हो चली है। स्मार्ट फोन का जादू युवा पीढ़ी के सर चढ़ कर बोल रहा है और युवाओं की दिनचर्या तो जैसे स्मार्ट फोन की वजह से बिगड़ ही चली है। जब से स्मार्ट फोन चलन में आया है युवाओं को पूरी तरह से अपने गिरफ्त में ले लिया है। अब तो युवा कामधाम छोड़-छाड़ कर स्मार्ट फोन में उलझे नजर आने लगे हैं। ऐसा नहीं कि स्मार्ट फोन हर जरूरत वाले युवाओं की ही पसंद है। बिना काम के युवा भी स्मार्ट फोन को शगल बनाये बैठे हैं और उनका खालीपन स्मार्ट फोन दूर कर रहा है। वर्तमान समय में बाजारों में तरह-तरह के व विभिन्न कंपनियों के स्मार्ट फोन मौजूद हैं। 5 हजार से 60 हजार रूपये तक का स्मार्ट फोन बाजार में उपलब्ध है। युवा अपनी हैसियत के अनुसार स्मार्ट फोन खरीद रहे हैं, नेट पैक डाल रहे हैं और स्मार्ट बनने के होड़ में शामिल हो चले हैं। दूसरी ओर मोबाइल पर तरह-तरह के एप्स जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, हाइक, हैंगटस, ओपेरा, यूसीब्राउजर, शेयर एप्स आदि युवाओं की पहली पसंद बने हुए हैं। कई एप्स ने तो फ्री में कॉलिंग की भी सुविधा उपलब्ध करा रखी है। तो कई एप्स चंद ही सेकेंड में मैसेज सेंड करने की भूमिका निभा रहे हैं। स्मार्ट फोन के बढ़ते चलन से मोबाइल निर्माता कंपनियों के साथ-साथ नेटवर्क प्रदाता कंपनियों की भी बल्ले-बल्ले है। नेट पैक के रूप में ऐसी कंपनियों को अच्छी खासी आमदनी जो हो जा रही है। दूसरी ओर स्मार्ट फोन के बढ़े चलन का असर युवाओं पर दिख जा रहा है। स्मार्ट फोन ने उनकी दिनचर्या बिगाड़ कर रख दी है। जब देखिये तब युवाओं की उंगलियां टच स्क्रीन पर थिरकती नजर आए जाएंगी। ऐसे युवा को शायद अब न तो खाने-पीने की ही सुध रही और न ही काम धाम की ही। कुल मिला कर स्मार्ट फोन जितना लाभकारी युवाओं के लिए उतना ही हानिकारक साबित हो रहा है।