नाला से उपेक्षित वार्ड, गंदगी का अंबार
सुपौल। नर्क के तस्वीर की लोगों ने कल्पना ही की होगी। लेकिन सहरसा-सुपौल मार्ग स्थित कीर्तन भवन के समी
सुपौल। नर्क के तस्वीर की लोगों ने कल्पना ही की होगी। लेकिन सहरसा-सुपौल मार्ग स्थित कीर्तन भवन के समीप से डॉ. विश्वरंजन दास के क्लिनिक की ओर जाने वाली सड़क की तरफ मुड़ जाएं तो वार्ड की खासियत है कि यहां कहीं भी नाला देखने को नहीं मिलेगा। अगर भूले से देखने को मिल भी गया तो उसे नगर परिषद की कृपा का परिणाम न मान लें। नाले के अभाव में सड़कों पर पानी बहना स्वभाविक है और जिसे बहते हुए सरेआम देखा जा सकता है। वार्ड में व्याप्त गंदगी व कचरे नाले से निकलने वाले गंदे पानी में मिले नर्क की असली तस्वीर पेश किए हुए रहती है। वार्ड के नारकीय स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अस्पताल चौक पर खड़े हो अगर किसी रिक्शे वाले को वार्ड नम्बर-24 चलने के लिए कहेंगे तो वह साफ-साफ जाने से इंकार कर देगा। वार्ड की मौजूदा तस्वीर काफी चिंतनीय है। वार्ड की अधिकांश सड़के अतिक्रमण के कारण गली का रुप ले लिया है। नाला तो नाला मुहल्ले का मात्र इकलौता शौचालय उनकी भी हालत खास्ता है। शौचालय के निर्माण काल से ही यह गंदगी के अंबार से ढका है। गंदगी इस कदर शौचालय पर हावी कि लोग उधर देखना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। मतलब जैसा नाला वैसा शौचालय। अब चलिए एक नजर डालते हैं वार्ड नंबर 25 पर। यह मोहल्ला भी नप की उपेक्षा से कराह रहा है। विकास के नाम पर मुहल्ले में पक्की नालों का निर्माण किया गया है। भले ही कहने को तो पक्का नाला है। लेकिन कही नाले में ढक्कन ही नहीं है और खुले नाले से आ रहे दुर्गध महामारी को आमंत्रित कर रहा है। नप की ओर से जगह-जगह कूड़ेदान की तो व्यवस्था की गई है। परन्तु लोग कचड़े को कूड़ेदान में न डालकर कूड़ेदान से बाहर फेंकना ही मुनासिब समझते हैं। वार्ड नंबर 24 के स्थानीय लोग अनिल कुमार, प्रदीप कुमार कामत, देवेन्द्र कुमार आदि का कहना है कि वार्ड में एक भी नाला नहीं है। कच्चे नाले रहने के कारण जगह-जगह सड़क पर ही गंदा पानी बहते रहता है। ड्राम में ठेले पर केरोसीन वाला कभी मोहल्ले में किरासन तेल नहीं बेचने के लिए आता है। वार्ड में नाला की घोर समस्या है। बारिश के दिनों की बात छोड़ दें अन्य दिनों में भी जगह-जगह जलजमाव रहता है।