किराए के मकान में चलता ग्राम कचहरी
सुपौल। पंचायत स्तर पर कहीं भी ग्राम कचहरी भवन नहीं है। वर्तमान समय में ग्राम न्यायालय किराये के मका
सुपौल। पंचायत स्तर पर कहीं भी ग्राम कचहरी भवन नहीं है। वर्तमान समय में ग्राम न्यायालय किराये के मकान, सामुदायिक भवन, जर्जर पंचायतों की अन्य तंग गलियों में चल रहे हैं। जहा शौचालय, चापाकल, यातायात की सुविधा बिजली आदि कुछ भी नहीं है। सभी ग्राम कचहरी स्थलों तक पक्की सड़क का निर्माण, शौचालय, चापाकल, सोलर लाइट लगना प्राथमिक आवश्यकता है। मालूम हो कि गावों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वा संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी है। छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गावों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो सके। इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया था। आज विडंबना देखिए कि पिपरा प्रखंड में रतौली पंचायत के बैरिया गांव में पूर्व से स्थापित खंडहर पंचायत भवन में ग्राम कचहरी संचालित हो रहा है। वहां इतनी समस्या है कि न बिजली है, न चापाकल है और पंचायत भवन के अंदर अतिक्रमणकारियों का बोलबाला है। जो शौचालय है भी वह जंगल में तब्दील होकर बेकार पड़ा है।