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नारी शिक्षा में कोसी आज भी पिछले पायदान पर

सुपौल। भले ही आज महिलाएं पुरूषों के कदम से कदम मिलाकर चल रही हों और उन्हें पचास प्रतिशत आरक्षण देकर

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 05:42 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 05:42 PM (IST)
नारी शिक्षा में कोसी आज भी पिछले पायदान पर

सुपौल। भले ही आज महिलाएं पुरूषों के कदम से कदम मिलाकर चल रही हों और उन्हें पचास प्रतिशत आरक्षण देकर बराबरी का दर्जा दिलाए जाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा हो लेकिन कोसी क्षेत्र में साक्षरता की मेरिट लिस्ट में इनका पिछड़ना नारी सशक्तिकरण के लिए शुभ नहीं माना जा सकता। आज भी यहां की कई महिलाओं की जिंदगी चौका-बर्तन व चूल्हे-चक्के तक ही सीमित है। इसका मूल कारण यहां की महिलाओं में शिक्षा की काफी कमी है। सरकार ने तो महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई है। लेकिन उन योजनाओं की धरातलीय स्थिति महज एक खाना पूरी वाली है। बावजूद कई लड़कियां घर की चौखट को लांघ विद्यालय का मुंह नहीं देख पा रही है। स्थिति यह है कि कोसी में महिला साक्षरता दर पुरुष साक्षरता की अपेक्षा काफी कम दर्ज हो रहा है। मालूम हो कि सुपौल जिले की आबादी 22 लाख 28 हजार 397 है। जहां साक्षरता दर 59.65 फीसदी है। यानि 10 लाख 76 हजार 133 लोग साक्षर हैं। यहां 71.65 फीसदी पुरुष साक्षर हैं जबकि महिलाएं मात्र 46.63 फीसदी ही। यानि सुपौल जिले में 6 लाख 72 हजार 45 पुरुष व 4 लाख 3 हजार 188 महिलाएं ही साक्षर है। इसी तरह सहरसा जिले की कुल आबादी 18 लाख 97 हजार 102 है। जहां साक्षरता दर 54.57 फीसदी है। जिसमें पुरुष साक्षरता दर 65.22 फीसदी व महिला साक्षरता दर 42.73 फीसदी है। यानि कुल 8 लाख 29 हजार 206 साक्षरों में से पुरुष साक्षरों की संख्या 5 लाख 21 हजार 560 व महिला साक्षरों की संख्या 3 लाख 7 हजार 646 है। वहीं मधेपुरा जिले के कुल आबादी 19 लाख 94 हजार 618 में से 53.78 फीसदी लोग ही साक्षर हैं। यानि कुल साक्षरों की संख्या 8 लाख 58 हजार 886 है। जिसमें से पुरुष साक्षर 63.82 फीसदी व महिला साक्षर 42.75 है। यानि मधेपुरा जिले में पुरुष साक्षरों की संख्या 5 लाख 33 हजार 342 व महिला साक्षरों की संख्या 3 लाख 25 हजार 544 है। उक्त आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहा है कि कोसी क्षेत्र में साक्षरता के मामले में महिला व पुरुष के बीच एक बड़ी खाई है जिसे तत्काल पाट पाना संभव नहीं दिखायी पड़ रहा है। महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए सरकार ने कई योजना चलाई, लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का हश्र क्या हो रहा है यह आंकड़े साबित कर देते हैं।


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