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कारोबारी हाथों में जमीन, महंगा हो रहा वास

मिथिलेश कुमार, सुपौल शहर में जमीन खरीद कर घर बनाना अब आम लोगों के लिये आसान नहीं है। जमीन पूरी तरह

By Edited By: Published: Sun, 22 Feb 2015 05:25 PM (IST)Updated: Sun, 22 Feb 2015 05:25 PM (IST)
कारोबारी हाथों में जमीन, महंगा हो रहा वास

मिथिलेश कुमार, सुपौल

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शहर में जमीन खरीद कर घर बनाना अब आम लोगों के लिये आसान नहीं है। जमीन पूरी तरह खुद को रियल स्टेट का कारोबारी कहने वालों के कब्जे में है और जमीन का कारोबार करने वाले मालामाल हो रहे हैं। जमीन की चर्चा हुई नहीं कि बिचौलियों की गिद्ध दृष्टि जमीन पर जाती है और वे उसे येन-केन प्रकारेण अपने चंगुल में ले लेते हैं। नतीजा होता है कि जमीन खरीदने वाले को जमीन के लिए उन्हीं बिचौलियों के शरण में जाना पड़ता है।

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सुविधा की आस में गांव से शहर का रूख कर रहे लोग

आज के समय में हर कोई शहर में घर बनाने की ख्वाहिश रखता है। ग्रामीण इलाके के लोग तो किसी भी कीमत पर शहर में जमीन खरीदने को तैयार रहते हैं। उनकी सोच होती है कि अगर शहर में जमीन खरीद लेते हैं और घर बना लेते हैं तो उनके बाल-बच्चे को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी मिल जाएगी। इसके लिए वे गांव के बीघा के बीघा जमीन बेचने को तैयार हो जाते हैं। जमीन की बढ़ी मांग का फायदा खुद को तथाकथित रियल स्टेट का कारोबार करने वाले उठाते हैं। इनके चंगुल में आकर जमीन की कीमत कई गुणी बढ़ जाती है।

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-10 धूर जमीन के लिए गांव की बिक जाती बीघे में जमीन

रियल स्टेट का कारोबार करने वालों का शहर में पैठ बन चुका है। उनके लोग इलाके में घूम-घूम कर बिक्री की जमीन का पता लगाते हैं। जमीन मालिक से संपर्क करते हैं, जमीन की कीमत तय होती है और फिर थोड़े मोरे पैसे देकर जमीन मालिक से उस जमीन का इकरारनामा करवा लेते हैं और उसके बाद शुरू हो जाती है उस जमीन पर बोली। ऐसे लोग जमीन खरीद कर जमीन को टुकड़े-टुकड़े में बांट कर बीच से रास्ता निकाल देते हैं और जमीन की कीमत मुंहमांगी हो जाती है। जमीन खरीद की चाह रखने वाले मजबूरन इन बिचौलियों के चंगुल में फंसते हैं और उन्हें दूने-तिगुने कीमत में जमीन उपलब्ध हो पाती है। नतीजा होता है कि शहर में दस धूर जमीन खरीदने के लिए ग्रामीण इलाके की जमीन बीघा की बीघा बिक जाती है।

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कारोबारी के हाथ जाते कीमत हो जाती दोगुनी

कारोबारी जहां 50 लाख रूपये में दो कट्ठा जमीन खरीदते हैं उसी जमीन को टुकड़े में बेच डालते हैं। आगे की जमीन की कीमत 40 से 45 लाख तय हो जाती है तो पीछे की जमीन 38-40 लाख यानी 50 लाख की जमीन कुछ ही महीने में 90 लाख पर पहुंच जाती है। आखिर ऐसे में कैसे पूरी हो सकेगी शहर में जमीन खरीद कर घर बनाने की आम लोगों की ख्वाहिश। सुपौल का जो हाल है, वह महानगरों को भी पीछे छोड़ जा रहा। यहां के जमीन की जो स्थिति है इससे तो अच्छा है कि महानगरों में फ्लैट ले लिया जाए। जो यहां की अपेक्षा सस्ती होगी।


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