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अमान परिवर्तन: बीत रहा साल, निर्माण की मंथर चाल

भरत कुमार झा/सुपौल: ..पता नहीं उम्मीदों का सपना कब होगा अपना। हमेशा से ये सपना देखने वाले कोसी के इल

By Edited By: Published: Wed, 21 Jan 2015 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jan 2015 06:14 PM (IST)
अमान परिवर्तन: बीत रहा साल, निर्माण की मंथर चाल

भरत कुमार झा/सुपौल: ..पता नहीं उम्मीदों का सपना कब होगा अपना। हमेशा से ये सपना देखने वाले कोसी के इलाके के लोगों में सड़क महासेतु के बाद उम्मीदों की किरण जगी। कोसी पर रेल पुल का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया। लेकिन ट्रैक लगाए जाने अथवा अन्य कार्य आज भी लटका पड़ा है। इधर सहरसा फारबिसगंज रेलखंड पर आधे हिस्से में मेगा ब्लाक तो कर दिया गया तीन साल गुजर गए लेकिन तीन कदम भी नहीं हो सके हैं पूरे।

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समय बदला, परिवर्तन होते गये, विकास की रोज नई तस्वीर गढ़ी जाने लगी। रेलवे के आधुनिकीकरण के तहत जहां पूरे देश में अमान परिवर्तन की बयार चली। वहीं कोसी का इलाका इससे अछूता रहा। ऐसा प्रतीत होता है जैसे इस रेलखंड को नमूने के तौर पर रख लिया गया हो। अंग्रेज जमाने का ट्रैक व पूरे देश की छंटी हुई बोगियां। गाड़ियों की अपनी टाइमिंग, किसी गाड़ी से कोई मेल नहीं। पैसेन्जर सुविधा की कोई चिन्ता नहीं।

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मेगा ब्लाक में चुस्त, निर्माण में सुस्त

कोसी के इस पिछड़े इलाके में रेलवे का अमान परिवर्तन आज भी सपना ही बना हुआ है। हालांकि रहनुमाओं की कृपा दृष्टि पड़ी और विभाग ने तत्परता दिखाते हुए 20 जनवरी 2012 से रेलखंड के आधे हिस्से राघोपुर-फारबिसगंज के बीच मेगा ब्लाक कर दिया। हठात ऐसा लगा कि अब कोसी के इलाके के भी दिन बहुरेंगे और रेलवे के मामले में यह पिछड़ा इलाका जल्द ही देश के अन्य भागों से जुड़ जायेगा। लेकिन परिवर्तन की गति इतनी धीमी पड़ गई कि लोगों की उम्मीदों पर ही पानी फिरने लगा।

जिस रफ्तार से मेगा ब्लाक करने में विभाग ने चुस्ती दिखाई निर्माण कार्य उतना ही सुस्त दिखाई दे रहा है।

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2004 में भी दिखा था अमान परिवर्तन का सपना

बाजपेयी सरकार के रेलमंत्री नीतीश कुमार, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीश,खाद्य आपूर्ति मंत्री शरद यादव फरवरी 2004 को सरायगढ़ पहुंचे थे और सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर अमान परिवर्तन की नींव रखी थी। रेलमंत्री ने कहा था कि सरायगढ़ से सकरी और सहरसा से फारबिसगंज तक अमान परिवर्तन की इस परियोजना की लागत 335 करोड़ की है और रक्षा मंत्रालय से स्वीकृति के बाद ही इसे पूरक बजट में लिया गया। उस समय अपने संबोधन में नेताओं ने सुरक्षा व सामरिक दृष्टिकोण से सीमावर्ती इलाके में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया था। चुनाव का वक्त आ गया सत्ता पलट गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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बाक्स में

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दिखने लगी है कुछ उम्मीद की किरण

फोटो फाइल नंबर-21एसयूपी-11,12

कैप्शन-हो रहा पुल निर्माण, सूना पड़ा प्रतापंगज स्टेशन

प्रतापगंज(सुपौल),संवाद सूत्र: राघोपुर से फारबिसगंज तक के लिए पहले चरण में बड़ी लाईन निर्माण कार्य को ले मेगा ब्लाक कर दिया गया। आस पास के क्षेत्रीय लोगों में एक नई आस जगी। घोषणा से पूर्व चौबीसो घटे खचाखच यात्रियों से गुलजार प्रतापगंज रेलवे स्टेशन भयावह सा दिखने लगा। वैसे तो निर्माण कार्य की गति अभी पूरी जोर नहीं पकड़ी है। फिर भी जगह-जगह पाईलिंग वर्क के बाद अधूरा पड़ा पुल पर गार्टर चढा़ने एवं जगह-जगह रेलवे ट्रैक पर हो रही मिट्टी भराई से लोगों में फिर से उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। प्रतापगंज एवं ललितग्राम के बीच मिरचईया धार के पुल संख्या 52 पर निर्माण कार्य का जायजा ले रहे रेलवे विभाग के कार्यपालक अभियंता सहरसा ने बताया कि कार्य में अब गति ला दी गई है।

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कोट-

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'निर्माण कार्य की गति धीरे-धीरे बढ़ा दी गई है। अब निर्माण कार्य बाधित होने की कोई संभावना नहीं है। रेल विभाग का सबसे जिम्मेदारी पूर्ण कार्य पुल का निर्माण पहले करवाया जाना है। वैसे भी फारबिसगंज से राघोपुर के बीच की दूरी को दो भागों में फारबिसगंज से ललितग्राम एवं ललितग्राम से राघोपुर में बाटकर कार्य करवाया जा रहा है।'

-वी उपाध्याय

कार्यपालक अभियंता


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