कई भाषाओं का समागम है हिन्दी :चौहान
सुपौल, जागरण संवाददाता:हिन्दी दिवस के अवसर पर समाहरणालय स्थित टीसीपी भवन में रविवार को जिलाधिकारी लक्ष्मी प्रसाद चौहान की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के बुद्धिजीवी समेत हिन्दी भाषी प्रेमियों ने भाग लिया। जिलाधिकारी ने कहा कि 14 सितंबर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाना, हिन्दी भाषा को सम्मान देना है। कहा कि भावनाओं की अभिव्यक्ति ही भाषा है। जब तक इस राष्ट्र भाषा को सम्मान नहीं दिया जाएगा, तब तक यह जन-जन की भाषा नहीं बन सकती। परन्तु आज हमारे ही देश में यह भाषा अन्य भाषा की गुलाम हो चुकी है। अपने राष्ट्र भाषा को नजर अंदाज करने में कहीं न कहीं हम सब दोषी हैं। अपने बच्चे को अंग्रेजी में बोलते देखना ज्यादा पसंद करते हैं। हमे इस मानसिकता को बदलनी होगी। अपने राष्ट्र भाषा का सम्मान करना होगा। तभी हम अपने राष्ट्र भाषा हिन्दी को जिंदा रख सकते हैं। बोले कि आज बिहार सरकार के सभी कार्यालयों में हिन्दी भाषा में कार्य संपादित हो रहा है। विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में हम अपने राष्ट्र भाषा को माध्यम बना कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह भाषा अन्य भाषाओं की तुलना में कर्ण प्रिय के साथ-साथ कई भाषाओं का समागम है। मौके पर उपस्थित पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार राज ने कहा कि हिन्दी अपने आप में एक समृद्ध भाषा है। बस जरूरत इस बात की है हम अपनी आदत में इस भाषा को डाले। थोड़ी बहुत आई कमी स्वत: पूर्ण हो जाएगी। उन्होंने कहा कि गिर रही हिन्दी भाषा के इस क्रेज में हमने खुद हिन्दी को ही चुना तथा आज इस मुकाम तक पहुंचा। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वरीय उप समाहर्ता अरूण प्रकाश ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां 80 फीसदी लोग हिन्दी भाषी हैं। हिन्दी से अच्छी कोई भाषा नहीं है। जरूरत है कि हम इसे बहुउद्देश्यीय बनाए तथा अधिक से अधिक सरल, सुगम रूप से अभिव्यक्त करें। सुपौल उच्च विद्यालय सुपौल के हिन्दी शिक्षक रामचन्द्र शर्मा ने स्वयं के रचित कविता पाठ कर हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डाला। जिसे संगोष्ठी में बैठे सभी लोगों ने खूब सराहा। संगोष्ठी में प्रो.निखिलेश कुमार सिंह,सीडी सिंह, रामविलास कामत, अजय कुमार अजनबी आदि ने भी अपने विचार रखे। मौके पर प्रशासनिक पदाधिकारी सहित गणमान्य उपस्थित थे।