तर्पण : मेरे पिता जी शालीनता व सादगी के प्रतिमूर्ति
सिवान। बाबूजी अपनी पूरी जिंदगी समाज को शिक्षित एव अनुशासित बनाने में बिताए। परिणाम स्वरूप आज मे
सिवान। मेरे पिता कपिलदेव लाल श्रीवास्तव एनई रेलवे सिवान में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद पर कार्यरत होने के साथ एनईरे मजदूर यूनियन के अध्यक्ष थी थे। इनकी मृत्यु 16.8.1993 ई. में हो गई। इन्हें आफिसर होने की कोई गुरुर नहीं था। वे सदा एक आम आदमी की तरह सरल जीवन व्यतीत करते हुए लाचार, शोषित, पीड़ित, बेरोजगारों, दिव्यांग लोगों के हक और हकुक के लिए संघर्ष करते रहे और शक्ति के अनुसार उनकी मदद भी करती थी। वें शालीनता व सादगी की प्रतिमूर्ति थे। साथ ही हम सभी परिवार को नेक रास्ते पर चलने तथा दूसरे के मदद के लिए प्रेरित करते हुए आदर्श चरित्रवान बनने के लिए उत्साहित करते रहे। उनकी सभी इच्छाएं पूरी नहीं हो सकी। आज भी मेरी मां लक्ष्मी देवी समय-समय पर हम चार भाईयों व एक बहन को सुनाकर हम लोगों को पिता की राह पर चलने के लिए ऊर्जा प्रदान करती रहती हैं। आज हम सभी भाई-बहन पिताजी के आदर्श पर चलने उनकी अधुरे कार्याें को पूरा करने में लगे हैं। मेरे पिता आज भी हमलोगों के मनमस्तिष्क में प्रेरणास्रोत हैं।