देहाती अनुभव निकालेंगी नई कहानियां
सिवान। शहीद उमाकांत ¨सह के गांव नरेंद्रपुर में देश के मशहूर साहित्यकारों व कहानीका
सिवान। शहीद उमाकांत ¨सह के गांव नरेंद्रपुर में देश के मशहूर साहित्यकारों व कहानीकारों का जुटान हुआ है। सोमवार को सभी स्वरचित साहित्यिक विधाओं को सुनाकर स्त्रोताओं को आनंदित कर रहे थे, बच्चों में कहानी लिखने की कला का बीज बोया जा रहा था। लोकप्रिय कहानीकार ममता कॉलीग ने कहा कि देहाती अनुभव की तरंग से नई कहानियां निकलेंगी । उन्होंने नारी सशक्तिकरण अभियान को मजबूत करने पर जोर दिया।उन्हें समाज में बराबरी का हक मिले, इसके लिए सामाजिक जागरण अभियान चलाने की आवश्यकता बताई।
शिवमूर्ति व प्रियंबद ने आत्मकथा को परिभाषित करते हुए कहा कि वस्तुत: आत्मकथा साहित्य की एक कलात्मक विधा है,जिसमें चरित्र नायक के संपूर्ण जीवन अथवा जीवनांश की सूक्ष्म-स्थूल और अंतर-वाह्य विशेषताओं का सुंदर, तटस्थ, विश्वसनीय और सहृदयात्मक विवेचन रहता है। वही अवधेश प्रीत ने कहा कि भोजपुरी में भारत की आत्मा बसती है। भोजपुरी माटी की बोली है। माटी की बोली की विशेषता होती है कि
वह अपने जातीय जीवन के संपूर्ण इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, आचार व विचार को अपने में समेटे रखती है। दिल्ली से आए प्रभात रंजन ने कहा कि किसी साहित्यकार की प्रासंगिकता की जब हम परख करने लगते हैं तो हमारा अभिप्राय यह होता है कि वह वर्तमान के संदर्भ से कितना कुछ सटा हुआ है, जुटा हुआ है। इंदौर के कहानीकार सत्यनारायण पटेल ने युवाओं को बताया कि कहानी केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, अपितु यह जीवन जीने की कला को सिखाती है। प्रत्यक्षा व गीता श्री ने तथागत से जुड़ी कहानियों को जीवन में उतारने पर जोर दिया। औरंगाबाद के कहानीकार सुनील ¨सह ने बताया कि साहित्यकार व कहानीकार समाज का दर्पण होता है। इस कहानी शिविर में आए कहानीकारों को परिवर्तन के
महानिदेशक संजीव कुमार ¨सह कोटिशय धन्यवाद दिया। इस मौके पर फणीश ¨सह, मनीष ¨सह, सुनील कुमार ¨सह, समीर कुमार, सतीश कुमार, मिथलेश कुमार, अलोक कुमार आदि उपस्थित थे।
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शोध परक पुस्तक की हुई विवेचना
लेखकों के दल ने सोमवार को शोधपरक पुस्तक की विवेचना की.लेखक प्रभात रंजन ने कहा कि प्राचीन कुशीनारा का अध्ययन पुस्तक बिल्कुल शोधपरक है। इसमें वर्णित दावे में ऐतिहासिक तथ्य नजर आता है। ममता कॉलीग व प्रियंबद ने बताया कि यह पुस्तक सिवान के इतिहास को उजागर करती है।
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राष्ट्र निर्माण में महिला शक्ति का अहम योगदान
इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को घूंघट से बाहर आने की सलाह दी गई। ममता कॉलीग ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं का योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्होंने महिलाओं को रोजगारपरक शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया। दुनिया की आधी आबादी को नजर अंदाज कर विकास की बात करनी बेमानी होगी।