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हिन्दी नहीं बन पाई देश की राष्ट्रीय भाषा

सिवान। शहर के साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था सरस्वती साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार को डी

By Edited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 02:52 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 02:52 AM (IST)
हिन्दी नहीं बन पाई देश की राष्ट्रीय भाषा

सिवान। शहर के साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था सरस्वती साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार को डीएवी हाई स्कूल सह इंटर कालेज के सभागार में हिन्दी दिवस समापन पर्व का आयोजन कवि व शायर कमर सिवानी की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में आगत अतिथियों का स्वागत प्राचार्या आशा कुमारी ने किया। वहीं विद्यालय के छात्र गोविंद कुमार ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। इस मौके पर एक विचार गोष्ठी सह कवि सम्मेलन सह मुशायरा का भी आयोजन किया गया। समारोह का उद्घाटन आगत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विचार गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए ब्रजनंदन सिंह यादव ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि आजादी के 69 वर्षो के बाद भी हम हिन्दी को पूरे देश कर राज्य भाषा नहीं बना पाए। वहीं प्रो. रामचन्द्र सिंह सुरसरिया ने कहा कि राजनैतिक कारणों से देश में हिन्दी की उपेक्षा हो रही है। हमारी भाषा अपने घर में ही अंग्रेजी की दासी बन चुकी है। गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. त्रिपाठी सियारमण ने कहा कि विश्व के प्रमुख भाषाओं में हमारी हिन्दी सर्वश्रेष्ठ भाषा है। गोष्ठी के अंत में विद्यालय परिवार की ओर से प्राचार्य आशा कुमारी व डा. कुमकुम मिश्रा ने सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। समारोह के द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन अवधेश कुमार पाण्डेय के ओजपूर्ण कविता- पवन के झोके-झोके में, हवा की हर लहर में गूंजती है हिन्दी..काफी सराही गई।

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आचार्य अजय कुमार अजीत ने भोजपुरी में एक प्रभावपूर्ण गीत प्रस्तुत की। वहीं जाहिद सिवानी की गजल को श्रोताओं ने खूब सराहा। कवि गोष्ठी के मध्य में प्रसिद्ध बांसुरी वादक मुरारी सिंह के धुन ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि पूर्व प्राचार्य सुभाष चन्द्र यादव, रेयाज मोहिउद्दीन, ओमप्रकाश नारायण, विजय लक्ष्मी विनोदिनी के कविताओं को भी लोगों ने खूब सराहा। वहीं प्रो. रामचन्द्र सिंह सुरसरिया, राधिका रंजन सुशील, पुरुषोत्तम तिवारी, पीके शुक्ला, प्रो. सत्यदेव सिंह ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। गोष्ठी के अंत में शायर कमर सिवानी ने आभार प्रकट करते हुए हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। इस मौके पर अधिवक्ता सुभास्कर पाण्डेय, ब्रजमोहन रस्तोगी, रवीन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, बामदेव वर्मा, नागेन्द्र मिश्र सहित काफी संख्या में शहर के प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में कैलाश यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


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