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भोजपुरी साहित्य की जड़ें काफी गहराई तक हैं: संजय

सिवान : भोजपुरी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि संगीत में तराशी और डुबोई गई संजीवनी है। भोजपुरी साहित्य की जड़

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Oct 2017 03:06 AM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2017 03:06 AM (IST)
भोजपुरी साहित्य की जड़ें काफी गहराई तक हैं: संजय
भोजपुरी साहित्य की जड़ें काफी गहराई तक हैं: संजय

सिवान : भोजपुरी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि संगीत में तराशी और डुबोई गई संजीवनी है। भोजपुरी साहित्य की जड़ें वैदिक काल तक जाती हैं। सामवेद के मंत्रों का उच्चारण परंपरागत रूप से जिस लय एवं धुन पर किया जाता है, वह हमारी भोजपुरी के सोहर का धुन है। ये बातें रविवार को सिवान नगर परिषद के सभागार में भोजपुरी की प्रमुख महिला साहित्यकार कुमारी शैलजा श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए भोजपुरी के युवा विचार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी संजय कुमार ¨सह ने कहीं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य को समृद्ध करने में स्त्री की भूमिका वहां से शुरू होती है, जब स्त्रियों ने संतान की उत्पत्ति होने पर सोहर एवं खेलवना गाया था।

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¨सह भोजपुरी की ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिका आखर द्वारा कुमारी शैलजा श्रीवास्तव की स्मृति में रविवार को नगर परिषद के सभागार में आयोजित भोजपुरी साहित्य में स्त्री की भूमिका विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। परिचर्चा का संचालन आरके राणा ने किया। अध्यक्षता महिला साहित्यकार प्रोफेसर नीलम श्रीवास्तव ने की।

डॉ. अशोक प्रियंवद ने कहा कि शैलजा श्रीवास्तव ने अपनी रचनाओं के माध्यम से उस दौर में भोजपुरी जगत में दस्तक दी थी, जब भोजपुरी साहित्य में महिलाएं नहीं के बराबर थीं। परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रो. पीराज ¨सह ने कहा कि शैलजा जी की रचनाओं में प्रकृति के सौंदर्य के साथ-साथ विरह में डूबी हुई नायिका और अभाव में चांद को छूने वाली जिजीविषा का शानदार चित्रण है। कवियित्री जयश्री ने कहा कि शैलजा ने भोजपुरी साहित्य को गढ़ने के साथ- साथ रंगमंच का भी भरपूर उपयोग भोजपुरी के हित में किया है।

आनंद किशोर ने कहा कि जिस दौर में स्त्रियों का घर से निकलना मना था, उस दौर शैलजा ने स्त्रियों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया। परिचर्चा को डॉक्टर यतींद्रनाथ ¨सह, सर्वेश तिवारी श्रीमुख, राजू उपाध्याय, आरआर सुशील, योगेंद्र ¨सह अकहरा, राजेश रंजन रणधीर ने भी संबोधित किया। विषय प्रवेश सतीश कुमार दुबे ने कराया। स्वागत भाषण एवं ऑनलाइन भोजपुरी अभियान आखर का परिचय एवं अतिथियों का स्वागत भास्कर रंजन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमित कुमार मोनू ने किया। इस मौके पर नीलेश कुमार वर्मा, नवीन ¨सह परमार, विकास कुमार, मनोरंजन ¨सह, राजेश पांडेय समेत दर्जनों की संख्या में भोजपुरी भाषी युवा एवं नगर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।


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