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शहाबुद्दीन की फोटो वायरल मामले में घिरे जेलाधीक्षक

सिवान । सिवान के 'साहेब' डॉ. मो. शहाबुद्दीन की मदद का आरोप जेलाधीक्षक पर लगने लगे हैं। जिलाधिकारी न

By Edited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 01:19 AM (IST)
शहाबुद्दीन की फोटो वायरल मामले में घिरे जेलाधीक्षक
शहाबुद्दीन की फोटो वायरल मामले में घिरे जेलाधीक्षक

सिवान । सिवान के 'साहेब' डॉ. मो. शहाबुद्दीन की मदद का आरोप जेलाधीक्षक पर लगने लगे हैं। जिलाधिकारी ने जेल आइजी को जो जांच रिपोर्ट भेजी हैं, उसमें ऐसे कई सवाल होने की बात कही जा रही है, जो उनके गले की फांस बनेंगे। बताते चलें कि जेल आइजी को रिपोर्ट भेजने के दो दिन बाद सोमवार देरशाम जेलाधीक्षक विधु भारद्वाज ने फोटो वायरल मामले में शहाबुद्दीन व एक अज्ञात व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। साधारण से लेकर गंभीर और अति गंभीर 63 मामलों के बाद आइटी एक्ट के तहत शहाबुद्दीन पर यह 64 मुकदमा है।

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बाहर की दुनिया की फोन से रखते खबर :

जमानत रद के बाद दोबारा जेल पहुंचे शहाबुद्दीन की चौपाल तो नहीं लग रही लेकिन फोन से वे बाहरी दुनिया पर नजर रखे हुए हैं। जेल अधीक्षक द्वारा जेल से फोटो वायरल होने के मामले में मुफ्फसिल थाना में दर्ज एफआइआर से यह साबित भी हो गया। सवाल यह है कि जब जेल अधीक्षक समय-समय पर खुद चे¨कग का दावा करते हैं तो मो. शहाबुद्दीन के मोबाइल को क्यों नहीं खोज पाए। यदि कोई मुलाकाती मोबाइल के साथ उनसे मिलने चला गया और उसने फोटो खींचकर वायरल की तो यह और गंभीर बात है। जेल में प्रवेश के पहले कई चरणों में व्यक्ति की गहन जांच होती है। जेल के अंदर की फोटोग्राफी की भी मनाही है। यदि कोई मुलाकाती मोबाइल लेकर अंदर गया तो यह जेल की सुरक्षा के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है। आज मोबाइल अंदर गया, कल कोई हथियार भी जा सकता है।

मो. शहाबुद्दीन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनपर आइटी एक्ट से कहीं गंभीर 63 मामले पहले से ही दर्ज हैं।

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जेल अधीक्षक ने फोटो वायरल करने के मामले में मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। इसमें आइटी एक्ट भी लगाया गया है। जांच सदर डीएसपी को सौंपी गई है।

सौरव कुमार साह, एसपी सिवान

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दाउद इ्रबाहिम से लेकर आइएसआइ तक से कनेक्शन :

अपने कार्यों से शहाबुद्दीन ने पहली बार प्रशासन को चुनौती नहीं दी है। प्रतापपुर स्थित घर पर छापेमारी में गई पुलिस टीम में दनादन गोलियों की बरसात की थी। इसमें दो पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। न्यायिक हिरासत के दौरान अस्पताल में भर्ती थे तो वहां उनकी अदालत लगती थी। किसी भी डॉक्टर को 50 रुपये से ज्यादा फीस नहीं लेने का फरमान उसी समय जारी किया था, जिसका रत्ती भर भी विरोध नहीं हो सका था। जेल में बंद थे तो भी चौपाल लगती थी। मंत्री तक मिलने आते थे। एक समय तो कहा जाता था कि साहब ने जो बोल दिया, बोल दिया। अब कुछ नहीं होने वाला। यही कारण है कि आइबी ने भी इनके खिलाफ पूरा विवरण तैयार किया था।

265 पन्नों की इस रिपोर्ट में कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम, कश्मीर के आतंकियों और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के साथ शहाबुद्दीन के रिश्तों का उल्लेख है। इसमें कथित रूप से यह भी जिक्र है कि 2001 में मक्का में शहाबुद्दीन की भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम से मुलाकात हुई थी। यह रिपोर्ट 2003 में सरकार को सौंपी गई थी।


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