जागरूकता से ही होगा थायरॉयड से बचाव
जासं, सिवान : हाल के दिनों में थायरॉयड एक ऐसी बीमारी के रूप में उभरी है जिससे खासकर महिलाएं ज्यादा प
जासं, सिवान : हाल के दिनों में थायरॉयड एक ऐसी बीमारी के रूप में उभरी है जिससे खासकर महिलाएं ज्यादा प्रभावित हैं। इस कारण गले की बीमारी होती है। यहीं घेघा रोग का भी कारण बनताहै। इस बीमारी से बचाव की जानकारी देते हुए इंडियन थायरॉयड सोसायटी के सदस्य व सदर अस्पताल के चिकित्सक डा.ख्वाजा एहतेशाम अहमद ने कहा कि जागरूकता के जरिए ही इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। इसे लेकर जागरूकता फैलाने की कोशिशों के तहत ही सोमवार को विश्व थायरायड दिवस का आयोजन किया गया है। इस मौके पर जहां-तहां विभिन्न आयोजन किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि थायरॉयड ग्रंथि गले के निचले भाग में तितली के आकार की होती है जिससे निकलने वाले हारमोन का प्रभाव शरीर की प्रत्येक कोशिका, उतकों व अंगों पर पड़ता है। थायरॉयड हारमोन शरीर के अपापचयी क्रियाओं की दर को नियंत्रण करता है। शरीर में उर्जा का उत्पादन इसी से नियंत्रित होता है। थायरायड ही हृदय गति को भी प्रभावित करता है। डा.अहमद ने बताया कि थायरॉयड पांच प्रकार का होता है। इसमें हाइपोथायरॉयडिज्म, हारपर थाईरॉयडिज्म, ग्वाइटर एवं आयोडिन डिफिसिएसी डिसार्डर, हाशीमातोज थाइरायडइटिस व थायरॉयड कैंसर शामिल है। भारत में सबसे हाइपोथाईरॉयडिज्म की समस्या मिलती है। यह पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। आयोडिन की कमी से गले में घोंघा रोग हो जाता है जो कि कुल थायरॉयड की समस्या से पीड़ित जनसंख्या दर का 12 प्रतिशत है। इसके लिए इस रोग के प्रति जागरूकता बहुत आवश्यक है ताकि प्रारंभिक अवस्था में ही इसका उचित इलाज हो सके।