घंटों उठती रहीं आग की लपटें, धुएं के गुब्बार
जासं, सिवान : बड़हरिया के कुवही व तीनभेड़िया के बीच हुए हादसे में पांच मौतों व सदर अस्पताल में घायलों
जासं, सिवान : बड़हरिया के कुवही व तीनभेड़िया के बीच हुए हादसे में पांच मौतों व सदर अस्पताल में घायलों का इलाज में चिकित्सक द्वारा आनाकानी करने के बाद आक्रोशितों ने पूरे सदर अस्पताल परिसर को आग के हवाले कर दिया। परिसर में खड़े वाहनों व कार्यालयों में आग लगा दी गई। अस्पताल के आइसीयू वार्ड, पुरुष वार्ड, हेड क्लर्क कार्यालय सहित कई पदाधिकारियों के कमरों के दरवाजे, शीशे आदि क्षतिग्रस्त किए गए। भीड़ ने अस्पताल की टेबल, कुर्सी, मेज व कमरों में रखे कागजात बाहर निकाल लिए और इन्हें भी सार्वजनिक रूप से आग के हवाले किया गया।
इस आगजनी की आहट लंबे समय तक सुनी जाएगी क्योंकि इस हादसे में लोगों के जीवन-मरण से जुड़े कई कागजात आग की भेंट चढ़ गए हैं। कितनों की गर्दन इस आगजनी की लपटों में जकड़ गई है तो कई के लिए यह राहत भरी खबर है।
प्रशासन को करनी पड़ी मशक्कत
एएसपी अशोक कुमार सिंह, एसडीओ दुर्गेश कुमार सिंह और अन्य अधिकारियों को भी आक्रोशितों को शांत करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस को पहुंचता देख प्रदर्शनकारी एकबारगी तितर-बितर हुए फिर रोड़ेबाजी भी की। बाद में एएसपी व एसडीओ ने मृतक के परिजनों को बुला आक्रोशितों को शांत कराने का प्रयास किया परंतु वह मानने को तैयार नहीं थे। उनकी बस एक मांग थी कि लापरवाह चिकित्सकों व सीएस को हटाया जाय व वरीय अधिकारियों को बुलाया। काफी देर तक एएसपी ने आक्रोशितों को समझाने का प्रयास किया पर वे मानने को तैयार नही थे। इसके बाद मृतक के परिजनों के बयान पर प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
अस्पताल छोड़ भागे डाक्टर व कर्मी
अस्पताल में घायलों व मृतक के साथ उमड़े जनसैलाब को देख अस्पताल में तैनात कर्मी और डाक्टर सहम गए थे। घायलों की स्थिति और भीड़ का उतावलापन देखने के बाद फिजीशियन डा.एए गनी के पास रेफर करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था। इसपर भीड़ ने एतराज जताया तो डाक्टर व कर्मी चुपके के साथ वहां से निकल पड़े। कुछ देर बाद नजारा ऐसा हुआ कि अस्पताल में किसी के होने का सबूत तक नहीं रहा। पूरा अस्पताल परिसर भीड़ के कब्जे में रहा। वहां तैनात होमगार्ड के जवान भी चुपचाप तमाशा देखते रहे।
भर्ती मरीज व उनके परिजनों की सांसत
अस्पताल में तोड़फोड़ व आगजनी से पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल रहा। यद्यपि आक्रोशितों की संख्या बहुत नहीं थी पर उनके तेवर कड़े थे। इससे अस्पताल परिसर में इलाजरत मरीजों और उनके परिजनों की जान सांसत में रही। कई रोगियों के परिजन बिना देर किए अस्पताल से सीधे निकल लिए। सुबह-सुबह हंगामे के बीच दर्जनों मरीजों व उनके परिजनों को रिक्शे से जाते देखा गया।
निजी चिकित्सालयों का नहीं खुला गेट
एक ओर हादसे में घायल हुए लोगों को लेकर पहुंची भीड़ का उग्र रूप और इसी दौरान आसपास के निजी चिकित्सालयों से मदद का उनका आग्रह. इलाज के लिए हामी भरने की चिरौरी.. अजीब दृश्य था। हादसे में मरे छात्रों के मित्रों का कहना था कि आसपास में कोई ऐसा अस्पताल नहीं था जहां मदद की गुहार नहीं की गई। लेकिन सबके गेट बंद मिले। कहीं से मदद नहीं मिली जिससे किसी के बचने की उम्मीद नहीं रही।
और भाग निकला बोलेरो चालक
अस्पताल रोड में हंगामा की सूचना के बाद सड़क पर सन्नाटा पसर गया। जो दुकानें खुली थी वह धड़ाधड़ बंद हो गई। लोग घरों में दुबक गए। सड़क पर सिर्फ घायलों के परिजन, ग्रामीण व छात्रों का हुजूम दिखाई दे रहा था। वह घायलों के इलाज के लिए इधर-उधर भागते दिख रहे थे परंतु किसी भी चिकित्सक का क्लिनिक खुला नहीं मिला। एक बोलेरो आती देख लोग उस तरफ दौड़ पड़े परंतु बोलेरो वाले ने मरीज को ले जाने से इंकार कर दिया। इसे ले कहासुनी भी हुई। इसी दौरान बोलेरो चालक गाड़ी लेकर भाग निकला। इसके बाद मरीज को ठेला व रिक्शा पर बैठा कर निजी चिकित्सालय ले जाया गया। लेकिन निजी अस्पतालों से भी मदद नहीं मिली।